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नोटों की छपाई करने में समय लगता है : अरुण जेटली

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि इनकम टैक्स अधिकारियों की पड़ताल के डर से टैक्स न चुकाने जैसी बातें बेकार का बहाना है. टैक्स न चुकाने वाला शख्स यह कहकर बच नहीं सकता कि कर चुकाने के बाद और ज्यादा सरदर्दी मोल लेनी पड़ेगी.

टैक्स की पड़ताल कैसे की जाती है, इस प्रक्रिया को लेकर उन्होंने बताया- जो लोग भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, उनके सारे डाटा सीधे कंप्यूटर सिस्टम में जाते हैं और वहां से एक सेंट्रल सिस्टम को प्रेषित हो जाते हैं. इस प्रक्रिया के बीच में कोई भी इंसानी हस्तक्षेप नहीं होता. कुछ अलर्ट्स होते हैं जो सामने आते हैं. इन अलर्ट्स के माध्यम से यह पता चलता है कि इनकम टैक्स स्क्रूटिनी (पड़ताल) के लिए किसे उठाया जाए. जो लोग बहुत ज्यादा कैश विदड्रॉल कर चुके होते हैं, बहुत ज्यादा कैश डिपॉजिट करते हैं, बहुत ज्यादा प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन सिस्टम में दिखाई दे रहे हों तो इस तरह के मामलों में सिस्टम रेड अलर्ट जेनरेट करता है.

एक टीवी कार्यक्रम में बातचीत करते हुए जेटली ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि हर साल रिटर्न फाइल करने वाले लोगों में से केवल एक फीसदी यानी 3.5 लाख लोग ही जांच पड़ताल के लिए चुने जाते हैं. उन्होंने कहा- डिनर टेबल पर हल्के फुल्के अंदाज में यह कहना कि मैं टैक्स इसलिए नहीं भरूंगा क्योंकि मेरी जांच पड़ताल की जा सकती है, यह बात दरअसल गलत काम करने वाले का बहाना है.

अरुण जेटली ने कहा कि सुरक्षा में नोटों की छपाई करने में समय लगता है और आरबीआई नोट जारी करने का काम कार्यान्वित कर रही है. नोटबंदी पर वित्त मंत्री ने कहा कि इससे कारोबार और व्यापार बढ़ेगा लेकिन उसमें इस्तेमाल होने वाली नकदी का स्तर घटेगा. उन्होंने कहा कि देश ने नोटबंदी का आम तौर पर स्वागत किया है, इस तिमाही में प्रतिकूल प्रभाव का अनुमान लगाना अभी मुश्किल है, इसका असर जरूर होगा लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं रहेगा.

जीएसटी को लेकर जेटली ने कहा कि संविधान संशोधन के अनुसार, जीएसटी को लागू करने में ज्यादा देर नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि 16 सितंबर 2016 को हुए संविधान संशोधन के मुताबिक मौजूदा अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को वर्ष के दौरान चलाया जा सकता है, लेकिन इसमें किसी तरह की देरी का मतलब होगा 17 सितंबर, 2017 से कोई कर नहीं. जीएसटी और नोटबंदी दोनों ही अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने वाले होंगे, लेकिन सुधारों का विरोध करने वाले राज्यों को लेकर निवेशक सतर्कता बरतेंगे. उन्होंने कहा कि 6 सितंबर 2017 से पहले जीएसटी लागू करना संवैधानिक बाध्यता है.

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