नई दिल्ली। दिसंबर की पहली तारीख है, लेकिन नोटबंदी के चलते कैश निकालने में तकलीफें बरकरार हैं। देशभर के नौकरी पेशा तबके की टेंशन तनख्वाह पाने की ही है, इसलिए बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी कतारें हैं। तमाम नौकरीपेशा लोग एटीएम मशीनों का रुख कर रहे हैं ऐसे में कतारें भी रोज से ज्यादा लंबी हैं। सुबह से ही बैंकों के बाहर लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं।

बैंकों ने हालांकि, एक तारीख को ध्यान में रखते हुये पर्याप्त व्यवस्था किये जाने का दावा किया लेकिन ज्यादातर बैंक शाखाओं में देखा गया कि उनके पास नकदी की तंगी बनी हुई है। सार्वजनिक क्षेत्र के एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा कि बैंकों को नकदी की तंगी के चलते तय सीमा से कम राशि वितरित करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। कुछ बैंक शाखाओं ने प्रति व्यक्ति 5,000 रुपये तो कुछ ने 10,000 और 12,000 रुपये तक ही अपने ग्राहकों को नकद वितरण किया है।
रिजर्व बैंक ने खाताधारकों को सप्ताह में 24,000 रपये नकद देने की सीमा तय की है। एटीएम आज भी बड़ी संख्या में खाली रहे। नोटबंदी की घोषणा के 24 दिन बाद भी एटीएम में पर्याप्त नकदी नहीं मिल पा रही है।

बैंकों ने हालांकि, 80 प्रतिशत एटीएम को नए नोटों के अनुरूप ढाले जाने का दावा किया है लेकिन इसके बावजूद एटीएम से नकदी नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ 2,000 रपये का नोट हाथ में होने के बाद बाजार में खरीदारी नहीं हो पा रही है क्योंकि छोटी मुद्रा उपलब्ध नहीं है।

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कल दावा किया था कि वेतन बांटने के लिये विशेष प्रबंध किये जा रहे हैं। बैंकों में अतिरिक्त नकदी भेजी जा रही है। लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ अलग ही तस्वीर पेश कर रही है।

देशभर में करीब 2 लाख 18 हजार एटीएम मशीनें हैं। इनमें से 1 लाख 70 हजार मशीनें अपडेट हो चुकी हैं। लेकिन करीब 50 हजार मशीनों को अब भी अपडेट किया जाना बाकी है। सैलरी संकट से जूझने के लिए बनाई गई रिजर्व बैंक की टास्क फोर्स की कोशिश है कि रोज 10 हजार एटीएम दुरुस्त किए जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो सैलरी संकट का हफ्ता खत्म होते होते कैश की दिक्कत दूर हो सकती है।