लखनऊ: जुलूस-ए-मोहम्मदी के विस्तार की मॉग को लेकर आज एक बैठक कटरा अबु तराब, नक्खास लखनऊ में हज़रत सैयद अयूब अशरफ किछौछवी अध्यक्ष ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई बैठक को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की यौमे विलादत पर हर साल जुलूस-ए- मोहम्मदी दरगाह हज़रत मखदूम शाहमीना से निकाला जाता रहा है मगर ज्ःयोतिबा फुले पार्क चौक में शासन द्वारा मल्टी लेवल पार्किग का निर्माण कार्य चल रहा है ऐसी सूरत में जुलूस-ए-मोहम्मद व जश्ने -ए-मोहम्मदी के लिए कोई दूसरा स्थान सुनिश्चित करना अति आवश्यक हो गया है मगर शासन इस सम्बन्ध में अभी तक कोई निर्णय लेने के मूड में नही लग रही है ऐसी स्थिति को देखते हुए एहले सुन्नत वल जमात सुन्नी सुफी विचारधारा के लोगों में जैसे जैसे दिन करीब आ रहा है शासन के खिलाफ रोष बढ़ता चला जा रहा है। मिशन का मनना है कि विगत कई वर्षा से 6 प्रस्तावित मार्गो में किसी एक मार्ग को चयनित करने का शासन से अनुरोध किया गया तथा इसी विषय को लेकर शिवपाल यादव के सामने भी यह प्रस्ताव रखा गया उन्होनें खुले दिल से यह बात बताई कि गोमती नदी के किनारे झूले लाल पार्क को करोड़ों रूपया खर्च करके बनाया गया है सरकार ने इस प्रकार कार्यक्रम के लिए पूर्व में ही पूर्ण व्यवस्था कर रखी है। मिशन भी जुलूस एवं जश्ने मोहम्मदी उस स्थान पर मनाने के लिए वर्तमान में सहमत है।
सैयद बाबर अशरफ अध्यक्ष सदाए सुफियाए हिन्द ने कहा कि भारत एक लोकतात्रिक देश है और भारत के सविधान ने सभी देश वासियों को आपनी आस्था के अनुसार धार्मिक पर्व मनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है भारत सरकार ने ईद मीनादुन्नबी की छुटटी प्रदान कर देश वासियों को पैगम्बर मोहम्मद सल्लाहों अलेही वसल्लम का जन्म दिवस को हर्ष उल्लास के साथ अमन दिवस के रूप में मनाने की अनुमति प्रदान की है। इस पर्व के मौके पर सभी धर्म के लोग सम्मलित होते है परन्तु दुर्भाग का विषय यह है कि इस अमन के जुलूस के निकलने में शासन कट्टरवादी संस्था के प्रभाव में आकर बाधा उत्पन्न करती चली आ रही है जिससे सूफी मुसलमान जो भारत की जन संख्या का 80 प्रतिशत है उसका विश्वास शासन के लचीले रवैये के कारण कमजोर हो रहा है। मौजूदा सरकार ने सूफी मुसलमानों को आश्वस्त किया था कि जूलूस-ए-मोहम्मदी, लखनऊ निकालने में अपना पूर्ण योगदान प्रदान करेगी। परन्तु अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इस सरकार ने भी 5 वर्ष गुज़ार दिया मगर अभी तक करोड़ा मुसलमाने की आस्था के प्रति जुलूस-ए-मोहम्मदी, लखनऊ पर कोई विचार नही किया जो एक चिन्ता का विषय है।
बैठक में हज़रत सैयद मोहम्मद अहमद मियॉं किछौछवी, कारी इरफान, मोहम्मद जलालुद्दीन, मोहम्मद निजामी, अबुबकर, कारी शमशाद दानिश इनामुल करीम, आदि उलेमा-ए-एकराम, इमाम-ए-मसाजिद एवं बुद्धिजीवी मौजुद थे।