लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि कड़वी दवाई बीमार को दी जाती है। इसी प्रकार काला धन रखने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन सरकार की इस नीति ने स्वस्थ लोगों को भी बीमारों के साथ लाईन में खड़ा कर दिया है और जबरदस्ती कड़वी दवाई स्वस्थ लोगों को पिलाई जा रही हैं।

एक न्यूज चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में श्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अपनाये गये एक नाकाम तरीके की वजह से पूरे देश में बेरोजगारी फिर से दस्तक देगी। चूंकि देश में बहुत सारे ऐसे छोटे व्यवसाय हैं जो नगद से ही चलते हैं।

कार्यक्रम में श्री यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी काला धन के खिलाफ है लेकिन जिस प्रकार से एकाएक बिना तैयारी यह किया गया यह तरीका सही नहीं है। प्रधानमंत्री को यह फैसला सोच समझ कर लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पहले तो प्रधानमंत्री विदेशी बैंकों में जमा धन देश में लाने की बातें करते थे। वो तो ला नहीं पाये। क्या प्रधानमंत्री को अब देश के लोगों के पास ही काला धन दिखाई देने लगा है? अब प्रधानमंत्री को देशवासियों को यह बताना चाहिए कि स्विस बैंकों में जमा काला धन वो देश में कब लायेंगे।

विकास से संबंधित एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार में रहते मैंने 605 पुल बनवाये। इसके अलावा उन्होंने अपने विभागों द्वारा कराये गये तमाम विकास कार्यों की जानकारी दी। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। इसीलिए 2017 में सरकार बनने का श्रेय निश्चित रुप से संगठन को ही जायेगा। टिकट वितरण पर उन्होंने कहा कि टिकट के लिए सबसे जरुरी है, उम्मीदवार का जिताऊ होना। इसके अलावा सभी के साथ राय मशविरा किया जायेगा।

एक सवाल का जवाब देते हुए शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि प्रधनमंत्री तो संसद से भी भाग रहे हैं। क्यों नहीं देश की जनता के प्रतिनिधियों को वह जवाब देते कि यदि उन्होंने नोटबंदी की तैयारी पहले से ही कर रखी थी तो आज देश भर में ऐसी अफरातफरी क्यों? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को यदि वास्तव में काले धन की इतनी ही चिंता है तो जो लोग देश का पैसा लेकर विदेश जा चुके हैं उनके विरुद्ध क्यों नहीं कोई ठोस कार्रवाई कर बैंकों का डूबा हुआ पैसा निकाल पा रहे हैं? इस मामले में क्यों नहीं कोई ठोस रणनीति बना रहे?

एंकर के सवालों का जवाब देते हुए शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने ही देशवासियों को लूटा है जिनको उन्होंने ‘‘मेक इन इंडिया’’ का वायदा किया था। क्या यही बेहतर भारत है? उन्होंने कहा कि प्रधनमंत्री ने एक ऐसा देश बना दिया है जिसमें यदि हम उनकी किसी गलत बात के विरुद्ध आवाज उठाते हैं तो हमें देशदोही और भ्रष्टाचारी कहा जायेगा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने टैक्स जमा करने के बाद जो पैसा नगदी के रुप में घर में रख रखा था वो भी इस नीति से डर रहे हैं कि कहीं उन्हें भी देशद्रोही और काला धन रखने वाला कह दिया जायेगा। किसी तरीके से जो महिलाएं सालों साल नगद पैसा जमा करती रही, उपहार या नगद के रुप में, उन सबको भी इस नीति ने भ्रष्टाचारियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।

उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी काला धन के खिलाफ है बल्कि हम नोट बंद करने के तरीके के खिलाफ हैं। इस एक नाकाम तरीके की वजह से पूरे देश में बेरोजगारी फिर से दस्तक देगी। चूंकि देश में बहुत सारे ऐसे छोटे व्यवसाय हैं जो नगद से ही चलते हैं। उन्होंने कहा कि कड़वी दवाई बीमार को दी जाती है। इसी प्रकार काला धन रखने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन सरकार की इस नीति ने स्वस्थ लोगों को भी बीमारों के साथ लाईन में खड़ा कर दिया है और जबरदस्ती स्वस्थ लोगों को कड़वी दवाई पिलाई जा रही हैं।

नोटबंदी का असर उत्तर प्रदेश के चुनाव पर पड़ने संबंधी एक सवाल के जवाब में शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि नोटबंदी का सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को उठाना पडे़गा, क्योंकि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश की ज्यादातर जनता खेती पर आधारित है और किसान व मजदूर मोदी की नोटबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। शहरी क्षेत्र में व्यापारी और छोटे दुकानदारों का कारोबार चैपट हो रहा है। इसका खामियाजा भाजपा को ही उठाना पड़ेगा। समाजवादी पार्टी ने प्रदेश के सभी वर्गों के उत्थान का कार्य किया है। प्रदेश सरकार ने चहुंमुखी विकास कराया है। हमें चुनाव में इसका लाभ मिलेगा और हम पूर्ण बहुमत की सरकार बनायेंगे।

सहकारी बैंकों में लेनेदेन पर लगी रोक संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर काम नगदी से ही होता है। किसानों व ग्रामीण लोगों के एकाउंट सहकारी बैंकों में ही होते हैं लेकिन मोदी सरकार ने सहकारी बैंकों के लेन देन पर पूर्णतया रोक लगा रखी है। जो छूट दी गयी है वह सिर्फ उन किसानों को है जिनका भुगतान क्रेडिट कार्ड या चैक आदि से हुआ हो। इसके अलावा खाद व बीज आदि की खरीद भी सरकारी दुकानों पर दी गयी है जबकि किसान खाद व बीज सहकारी समितियों से खरीदता है लेकिन इन पर बड़े नोटों से खरीदारी की छूट नहीं है तो किसान कैसे अपनी फसल लगायेगा। यह एक बड़ा सवाल है।