लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिवसीय पखवाड़े की शुरुवात

फैजाबाद! आज गाँधी प्रतिमा, सिविल लाइन के समीप लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिवसीय पखवाड़े की शुरुवात अवध पीपुल्स फोरम, नारी सेना, अवधी लोक कला समिति और सशक्त फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने कैंडल जला कर किया. सभी ने सामूहिक तौर पर हर प्रकार की हिंसा के खिलाफ “ना” कहा और पुरे पखवाड़े के दौरान फैजाबाद जनपद के विभिन्न हिस्सों में अनेकों कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को इस अभियान से जोड़ते हुए हिंसा मुक्त दुनिया बनाने का संकल्प दिलाया जायेगा. क्योंकि आज दिन प्रति दिन समाज में एक दुसरे के प्रति लगाव कम होता जा रहा है. आम नागरिक समाज अपने भौतिक जीवन में बहुत उलझ गया है, वो समाज और अपने आस-पास घट रही घटनाओं पर ध्यान नहीं दे पता है. हमको अपने इस अभियान के ज़रिये से ऐसे युवा बनाना है जो अपनी पढाई-लिखी और भविष्य बनाने के साथ अपने समाज को बनाने में भी अपनी भूमिका निभाए. जिससे की हमारा लोकतंत्र मजबूत हो, समाज में लिंग, जाति, नस्ल, भाषा, क्षेत्र, धर्म आदि के आधार पर व्याप्त गैरबराबरी समाप्त हो. सभी को समस्त मानवधिकार प्रप्त हो. जनमंच के संयोजक दिनेश सिंह ने कार्यक्रम की शुरुवात करते हुए कहा कि “समाज बनते बनते बनता है, अपने परिवेश और उसको सही दिशा में आगे ले जाने की ज़िम्मेदारी हमारी है. सकारात्मक और रचनात्मक कोशिश होनी चाहिए, जिससे बदलाव के इस अभियान से अधिकाधिक लोग शामिल होकर हिंसा को ना कहे. नारी सेना की युवा सामाजिक कार्यकर्त्री भारती सिंह ने कहा कि “महिलाओं पर हो रही हिंसा सिर्फ महिलाओं की समस्या नहीं है, ये समग्र समाज को पीछे ले जाती है. इसलिए सभी को साथ आकर हिंसा मुक्त समाज बनाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए”. अध्यापक कमलेश यादव ने कहा की हमारा इतिहास बहुत हिंसक है. जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ है. हिंसा को समाज ने नाकारा है. हिंसा से मानव, संसाधन, ऊर्जा सभी का नुकसान होता है. एडवोकेट अतहर शम्सी ने कहा कि “इन्सान का इन्सान से भाईचारा होना चाहिए. ऐसी संस्कृति को आगे बढ़ाना चाहिए. सभी नागरिकों को एक बेहतर अमन पसंद माहौल में आगे बढ़ने के लिए अवसर होना चाहिए. सभी को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. सशक्त फाउंडेशन के प्रदीप दुबे ने कहा कि “हम हिंसा से समाज को बना नहीं सकते है, प्यार और अहिंसा से समाज की तरक्की, मानव की तरक्की होती है”. लोक कलाकार मुकेश कुमार ने कहा कि “हिंसा से द्वेष पैदा होता है, गैरबराबरी और शोषण का जन्म होता है. नारियों को हिंसा के माध्यम से डराने का काम किया जाता है. उनको आगे बढ़ने से रोका जाता है. इसलिए समाज को कला और संस्कृति के माध्यम से प्रेम की भावना का विकास किया जाये और युवाओं को हिंसा की तरफ जाने से रोका जाये”. इस अभियान को आगे बढ़ने के लिए कविता मिश्रा, एडवोकेट मुश्फ़िक जैदी, हाफिज उल्लाह, सादिक हसनैन, अब्दुल बासिद, गौरव सोनकर, मोहम्मद अली, आशीष कुमार, ज़ुहैर अब्बास, अज़ीज़ उल्लाह, आफाक, आदि मिलकर काम करेगे.