कोबे (जापान): काले धन पर अंकुश लगाने के मकसद से 500 और 1000 रुपये के नोट बैन करने के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार इस मुद्दे पर लोगों के सामने अपनी बात रखी. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कालेधन को बाहर निकालने के लिए और कदम उठाने का संकेत दिया. उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास बेहिसाब धन है, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा और इस बात की कोई 'गारंटी' नहीं है कि 30 दिसंबर के बाद और कदम नहीं उठाए जाएंगे. सरकार ने लोगों को पुराने नोट जमा कराने के लिए 30 दिसंबर तक का ही समय दिया है.

जापान यात्रा पर गए पीएम मोदी ने वहां भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में पीएम मोदी ने कहा, 'मैं एक बार फिर यह घोषणा करना चाहूंगा कि इस योजना के बंद होने के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कालाधन रखने वालों को ठिकाने लगाने के लिए (दंड देने के लिए) कोई नया कदम नहीं उठाया जाएगा.'

नोटबंदी के इस फैसले के बाद नकदी की किल्लत होने की वजह से लोगों में बढ़ते गुस्से के बीच पीएम मोदी ने साफ किया कि सरकार ने यह फैसला काले धन की सफाई के लिए लिया गया, किसी को तकलीफ देने के लिए नहीं. उन्होंने 500 और एक हजार रुपये ने नोट को प्रचलन से हटाने के बाद की परेशानियों का जिक्र किया और 125 करोड़ भारतीयों के जज्बे को सलाम किया.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मैं अपने देश के लोगों को सलाम करता हूं. लोग चार से छह घंटे तक लाइन में खड़े हुए हैं, लेकिन उन्होंने राष्ट्रहित में इस फैसले को स्वीकार किया, जैसा कि 2011 की आपदा के बाद जापान ने किया था.' उन्होंने कहा, 'मैं लोगों के समक्ष आने वाली परेशानियों पर लंबे समय तक विचार किया, लेकिन इसे गोपनीय रखना भी जरूरी था. इसे अचानक किया जाना था, लेकिन मुझे कभी यह नहीं पता था कि इसके लिए मुझे शुभकामनाएं मिलेंगी.'

पीएम मोदी ने सरकार के इस कदम को देश का सबसे बड़ा 'स्वच्छता अभियान' करार देते हुए कहा, 'हम आजादी के बाद से अब तक के सारे रिकॉर्ड जांचेंगे, अगर मुझे बिना हिसाब-किताब की कोई नकदी मिलती है, तो किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा.' उन्होंने साथ ही बताया कि ये रातोंरात लिया गया फैसला नहीं है, पहले हम एक योजना लाए. ऐसा नहीं है कि किसी को मौका नहीं दिया गया.

वहीं कई जगह में गंगा नदी में काला धन बहाने की खबरों को पर भी पीएम मोदी ने चुटकी लेते हुए कहा, पहले गंगा में कोई एक रुपया भी नहीं डालता था, अब 500 और 1000 के नोट भी बह रहे हैं. बेईमानों को लगने लगा है कि बैंक में जाने से अच्छा गंगाजी में जाना है, पैसे मिले ना मिले पुण्य तो मिल जाएगा.