नई दिल्‍ली। मेरे पास सौ का नोट नहीं है, पांच सौ का तो है। कुछ दिन के उधार में राशन दे देंगे क्‍या…? यह सवाल लगभग हर रेहड़ी-पटरी और दुकानदार के यहां हो रहा है। चायवालों के यहां भी यही हाल है। पांच सौ और हजार रुपये के नोट बंद होने का साइड इफेक्‍ट दिखने लगा है। अब कुछ दिन तक लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें उनके संबंधों पर पूरी होंगी। चाय, सब्‍जी वाले से लेकर ढाबे वाले और राशन की दुकान तक लोगों की उधारी शुरू हो गई है। जो लोग कभी उधार नहीं लेते थे वे भी दो-चार दिन में पैसा देने की बात कह रहे हैं।

सबसे ज़्यादा परेशान मज़दूर तबक़ा है जो शाम को दिहाड़ी पाकर घर का राशन पानी लाता है , चूंकि ठेकेदार के पास भी उसे देने के लिए पैसे नहीं इसलिए काम बंद। उनके सामने बेरोज़गारी के हालात पैदा हो गए हैं और हालात सुधरने तक उन्हें इन्हीं हालात में जीवन बिताना होग।

दूसरी ओर पांच सौ या एक हजार का नोट देने पर दुकानदार कह रहे हैं कि ले तो लेता हूं, लेकिन बाकी पैसे वापस तब करुंगा जब यह नोट बैंक में जमा हो जाएगा। यह असर हर जगह दिख रहा है। खासतौर पर छोटी जगहों पर उधारी का असर ज्‍यादा है। इसीलिए बात चल पड़ी है कि इंडिया कुछ दिन उधार पर चलेगा। अपने रसूख और संबंध काम आएंगे।

नोएडा में कई जगहों पर चाय और खाने-पीने की रेहड़ी और दुकानों पर इसी मसले को लेकर ही चर्चा हो रही हो रही है। ओखला के शाहीन बाग में जनरल स्‍टोर के दुकानदार रहीश का कहना है कि जब तक इस समस्‍या का कोई हल नहीं निकल आता, तब तक ग्राहकों के साथ सामंजस्‍य बैठाना पड़ेगा। कई लोगों ने पहली बार उधारी की है।

फरीदाबाद में एक सब्‍जी और दूध विक्रेता संजय कहते हैं उधारी काफी बढ़ गई है। यहीं के एक चाय विक्रेता रणजीत के यहां भी उधार में चाय पीने वालों की संख्‍या बढ़ी है। यहीं पर श्रमिक संगठन चलाने वाले एसडी त्‍यागी का कहना है कि अब समझ में नहीं आता कि चाय वाले को चेक दिया जाए या फिर पांच सौ या फिर हजार रुपये का नोट।

आगरा स्‍थित करगिल पेट्रोल पंप बोदला के इन एंड आउट स्‍टोर संचालक हाजी इकबाल कहते हैं कि उधार वाले आ रहे हैं लेकिन एक तरीका निकाला है। जो पांच सौ या फिर हजार रुपये का नोट दे रहा है उसे उसका उतने का सामान दिया जा रहा है। चेंज नहीं दे रहा हूं। मंगलवार रात में ही लोग 10-10 हजार रुपये तक का किचन का सामान ले गए हैं। इस फैसले का रिएक्‍शन बहुत तेजी से हुआ है।