नई दिल्‍ली। भोपाल में जेल से भागे सिमी के आठों आतंकियों के एनकाउंटर की जांच की मांग करने के लिए जमात-ए-इस्‍लामी सामने आई है। जमात का दावा है कि मारे गए लोग कमजोर केस होने के चलते जल्‍द रिहा होने वाले थे। लेकिन एक साजिश के तहत उन्‍हें मार डाला गया।

शनिवार को आयोजित प्रेसवार्ता में संगठन के जनरल सेक्रेटरी मुहम्‍मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि भोपाल में हुआ एनकाउंटर एकदम फर्जी है और इस फर्जी एनकाउंटर के पीछे मध्‍यप्रदेश सरकार ही नहीं, केंद्र सरकार भी है। उसी की सहमति से फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया गया है। जल्‍द रिहा होने वाले आठ बेगुनाहों का कत्‍ल किया गया है। ना तो पुलिस और ना सरकार फर्जी एनकाउंटर पर उठ रहे सवालों का जवाब दे रही है।

उन्होंने कहा कि इससे पहले खालिद मुजाहिद, कतील सिद्दीकी और मोहम्‍मद वकास को भी हिरासत में मारा जा चुका है। भोपाल के इस फर्जी एनकाउंटर की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराकर दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

प्रेसवार्ता में कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इंडियन मुस्लिम के सदस्य जावेद अख्तर ने आरोप लगाया कि फर्जी एनकाउंटर से पहले आठों लोगों को खाने में कुछ मिलाकर दिया जा रहा था। अपने वकील सईद सिद्दीकी से भी उन्होंने ये शिकायत की थी। वकील ने हाईकोर्ट को इस संबंध में अवगत भी करा दिया था। ये वही कमेटी है जो बटला हाउस मामले में पैरवी कर रही है। कमेटी का एमपी चैप्टर अब भोपाल फर्जी एनकाउंटर मामले को कोर्ट में उठाएगा।

प्रेसवार्ता में जेएनयू के गायब छात्र नजीब अहमद का मामला भी उठा। सलीम इंजीनियर ने कहा कि दिल्‍ली पुलिस नजीब को देशभर में तो ढूंढ रही है, लेकिन जो नामजद आरोपी हैं उनसे पूछताछ तक नहीं कर रही। उन्होंने कॉमन सिविल कोड को केंद्र सरकार की साजिश बताया। साथ ही हाल ही में झारखंड में पुलिस के हाथों मारे गए मिनहाज अंसारी की मौत पर भी रोष जताते हुए दोषियों के लिए कड़ी सजा की मांग की।