नामचीन कलाकारों व संगठन ने उठाए नियमावली और चयन प्रक्रिया पर सवाल

लखनऊ। यशभारती सम्मान को लेकर प्रदेश के संस्कृति विभाग की नियमावली, चयन समिति व चयन प्रक्रिया विवादों के घेरे में आ गई है। यशभारती सम्मान को लेकर नामचीन कलाकारों व संगठन ने बार-बार सूची जारी करने, नाम घोषित कर उस नाम का शिल्पकार न मिलने, कलाकारों की वरिष्ठता और योगदान नजरअंदाज किए जाने सहित नियमावली और चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
यहां प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका सुनीता झिंगरन ने वर्तमान सरकार द्वारा कलाकारों को उचित धनराशि से सम्मानित करने की सराहना करते हुए कहा कि यशभारती सम्मान के चयन में ही नहीं संस्कृति विभाग की कलाकारों को कार्यक्रम देने तक में प्रक्रिया गलत है। यशभारती सम्मान में अर्जुन मिश्र, जुगलकिशोर, रविनागर, सुरेन्द्र सैकिया जैसे दिवंगत कलाकारों के साथ ही शेखर जोशी जैसे मौजूदा वरिष्ठ कथाकारों व उनके योगदान तक की अनदेखी की गई है। कथक नृत्यांगना सुरभि सिंह ने कहा कि प्रदेश में कथक के दो प्रमुख घराने लखनऊ व बनारस हैं परंतु पं.अर्जुन मिश्र, कपिला राज सरीखे व अन्य जीवित कलाकारों उनके योगदान को किनारे कर मात्र एक रिकार्ड बनाने वाले को कथक के नाम पर यशभारती देना दिखाता है कि संस्कृति विभाग के लिए इस शास्त्रीय नृत्य की परम्परा को विश्व तक पहुंचाने और प्रचार-प्रसार करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। उत्तरप्रदेश थियेटर एण्ड फिल्म एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक ने कहा कि किसी भी देश-प्रदेश की संस्कृति उसकी पहचान होती है पर निकम्मा संस्कृति विभाग संगीत नाटक अकादमी के प्रतिष्ठित पुरस्कारों की न तो राशि बढ़वा सका और न दो साल तक उन्हें बंटवा ही पाया। यशभारती सम्मान के बारे में हुई कार्रवाई से लगता है कि इस मामले में भी वह सरकार और मुख्यमंत्री तक को गुमराह करता रहा है। एसोसिएशन विभाग में उसकी नियमावली, चयन प्रक्रिया और चयन समिति को लेकर आरटीआई दाखिल करने के साथ ही कला, साहित्य सम्मान और कलाकारों के मुद्दे पर धरना प्रदर्शन कर उचित कार्रवाई की मांग करेगी। तबला नवाज इल्मास हुसैन ने कहा कि सभी कलाकारों को सम्मान मिले, किसी से विरोध नहीं पर यशभारती की चयन प्रक्रिया कलाकारों के साथ धोखा है। इसके साथ ही प्रेसवार्ता में उपस्थित शास्त्रीय गायक पं.धर्मनाथ मिश्र, प.ंरामेश्वर प्रसाद मिश्र, प्रो.पीके टण्डन, हैदरबख्श कव्वाल, लोककलाकार विक्रम बिष्ट आदि ने एक सुर से यशभारती सम्मान को लेकर संस्कृति विभाग की भर्त्सना की।