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डीएम से दलित परिवार ने जानमाल की सुरक्षा की लगाई गुहार

सुलतानपुर। दलित लीलावती के मांग का सिन्दूर तो उजड़ गया। अब अपने मासूम बच्चों को लेकर सहमी व डरी हुई है कि कही पति की तरह ही मासूम बच्चों के
साथ कोई घटना न घट न जाए। इस बात को लेकर वादी पुलिस के आलाधिकारियों व थाने की चक्कर लगा रही है और अपने पति के हत्यारों की गिरफ्तारी के लिये पुलिस की चैखट पर अपना आॅचल फैला कर न्याय की भीख मांग रही है। वादी को इस बात का डर सता रहा है कि जिस प्रकार मेरे पति को मुकदमें में सुलह समझौता न करने से अपनी जान गवानी पड़ी। कही यही पुनरावृत्ति मेरे व मेरे मासूम बच्चों के साथ दोहरायी न जाय। वादी का कहना है कि यदि समय रहते
नामजद अभियुक्तों के ऊपर ठोस कार्यवाही थाने की पुलिस की होती तो शायद मेरे पति की जान बच सकती थी और मेरे मांग का सिन्दूर उजड़ने से बच सकता
था।

बतातें चलें कि मामला कुड़वार थाना के मनियारपुर गाॅव का है। दबंगों के खिलाफ मंजेे सोनकर सुत मिश्रीलाल ने 28 अगस्त 2016 को गाॅव के ही जाने आलम, शाने आलम, शाहे आलम, खैबर के विरूद्ध कुड़वार थाने में तहरीर दिया था। कुड़वार थाने की पुलिस ने 452, 393, 504, 506, 427, 3 (1) (एक्स) भादवि की धारा में एफआईआर दर्ज कर लिया था। मुकदमें में नामजद अभियुक्तों को राजनैतिक संरक्षण के चलते पुलिस गिरफ्तारी व अभियुक्तों के घर तक जाना मुनासिब नहीं समझाी। इसी एफआईआर में ओमप्रकाश सोनकर गवाह था मृतका के ऊपर एफआईआर में सुलह, समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा था। गवाह को आये दिन जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। गवाह ओमप्रकाश सोनकर सुत राम चन्दर सोनकर को जो झाडू बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। 19 सितम्बर 2016 को क्या पता था कि आज की शाम उसकी आखिरी शाम होगी। इसी खुशी परिवार में खा पीकर व्यवसाय के लिये निकले रामचन्दर घर को वापस लौट रहे थे कि रास्ते में पहले से घात लगाये बोलेरों सवार लोगों ने अपहरण कर लिया था। जिसका शव दिनांक 21 सितम्बर 2016 को जुडूपुर तालाब में मिला था। मृतका की पत्नी लीलावती ने उसी दिन कुड़वार थाने पर नामजद तहरीर 7 लोगों के विरूद्ध दर्ज करवाया था। लेकिन 21 सितम्बर 2016 को घटना की तहरीर मिलने के बाद थाने की पुलिस ने 15 दिन बाद 7 अक्टूबर 2016 को सात लोगों के विरूद्ध विभिन्न धाराओं 147, 364, 302, 201, 3 (2) (एक्स) में मुकदमा पंजीकृत कर लिया। डीजीपी के निर्देशों के बावजूद कुडवार थाने की पुलिस वादी का मुकदमा पन्द्रह दिन बाद दर्ज क्यो किया। पुलिस की कार्यवाही पर वादी ने सवाल उठाये है वादी का कहना है कि यदि समय रहते नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गयी होती तो मेरे मांग का सिन्दूर उजड़ने से बच जाता। वादी ने नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी व न्याय की गुहार जिलाधिकारी व प्रदेश के उच्चाधिकारियों से लगाई है।

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