’रामायण संग्रहालय’, ’रामलीला थीम पार्क’ बनाने के फैसले पर मायावती ने उठाया सवाल

लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश मायावती ने भाजपा व सपा द्वारा धर्म को राजनीतिक व चुनावी लाभ से जोडकर इस्तेमाल करने की लगातार कोशिशों की तीखी आलोचना करते हुये कहा कि अब प्रदेश में होने वाले विधानसभा आमचुनाव से ठीक पहले अयोध्या में केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा ’रामायण संग्रहालय’ तथा प्रदेश की सपा सरकार द्वारा ’रामलीला थीम पार्क’ बनाने की याद आयी है, परन्तु समुचित बजट प्रावधानों के अभाव में सरकार के ऐसे फैसले मात्र काग़जी घोषणायें बनकर क्या नहीं रह जायेंगी?

मायावती ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि अयोध्या को पर्यटन के लिहाज़ से विकसित करना अच्छी बात है, परन्तु अब जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव के सम्बंध में शीघ्र ही तिथियों की घोषणा होने वाली है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को अयोध्या में ’रामायण संग्रहालय’ बनाने की याद आयी है। इसी तरह प्रदेश की सपा सरकार के लिये अब चला-चली की बेला है तो मंत्रिमण्डल द्वारा अयोध्या के रामलीला केन्द्र में ’’थीम पार्क’’ बनाने का निर्णय लिया गया है।
इस प्रकार केन्द्र की भाजपा व प्रदेश की सपा सरकार द्वारा धर्म को राजनीतिक व चुनाव लाभ से जोड़ने का प्रयास निन्दनीय है। अगर इन दोनों ही सरकारों की नीयत इन मामलों में सही व साफ होती तो यह काम काफी पहले ही शुरू कराया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि ख़़्ासकर दोनों ही सरकारों को यह ध्यान देना होगा कि ऐसे निर्माणों के मामले में अयोध्या के विवादित रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद परिसर की भूमि प्रभावित नहीं हो, क्योंकि इसके मालिकाना हक़ के मामले में विवाद माननीय उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के लिये लम्बित है।

इतना ही नहीं बल्कि प्रदेश की सपा सरकार के साथ-साथ केन्द्र की भाजपा सरकार के मंत्रियों द्वारा भी आयेदिन आधे-अधूरे ढंग से विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास आदि कार्यक्रम व अनेकों प्रकार की अन्य घोषणायें केवल यहाँ होने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर ही लोगों को वरग़लाने व उनकी आँखों में धूल झोंकने के लिये की जा रही हैं, जो सर्वथा अनुचित है।

उन्होंने कहा कि लोगों की चाह रहती है कि सरकारों को विकास के कामों की याद केवल चुनाव के समय व उसे ध्यान में रखकर ही नहीं आनी चाहिये, परन्तु आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही प्रदेश की सपा सरकार ने मदरसा शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने व ग़रीबों को सस्ते आवास देने सम्बंधी आज जो फैसला लिया गया है वह भी काफी देर से लिया गया फैसला है।

वास्तव में इस प्रकार के जो भी फैसले राजनीतिक व चुनावी लाभ को ध्यान में रखकर आपाधापी में लिये जाते हैं, उनका लाभ लोगों को सही से जल्दी नहीं मिल पाता है, यह अक्सर देखने को मिला है, हालाँकि ऐसी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की होड़ सपा व भाजपा दोनों ही सरकारों में लगातार लगी हुई है, जबकि पूर्व में कांग्रेस पार्टी की सरकारें भी ऐसा ही काम करती रही है। इसलिये उत्तर प्रदेश की आमजनता को इस प्रकार के बहकावे में नहीं आकर काफी सावधान रहने की जरुरत है।