लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लोकप्रियता का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। आज की राजनीति में उनके जैसा बेदाग, निर्मल छवि और संवेदनशील व्यक्तित्व का सर्वथा अभाव दिखता है। राजनीति को उन्होंने सेवा के माध्यम के रुप में स्वीकार किया है और वे बेजुबानों तथा कमजोरों को भी सम्मानपूर्वक जीवन जीने देने के लिए संघर्षरत है। इसीलिए जनता का उनके प्रति बेमिसाल भरोसा है। वे जहाँ जाते हैं। उनको देखने-सुनने वालों की कल्पनातीत भीड़ जमा हो जाती है। हजारों की संख्या में लोग स्वतः उनके स्वागत में उमड़ पड़ते है इनमें किसान, नौजवान, अल्पसंख्यक और महिलांए सभी शामिल होते हैं। आकाश तक उनके जिंदाबाद की गूंज होती है। घरों की छतो पर और यहाँ तक की पेड़ो पर चढ़कर भी लोग उनकी एक झलक पाने को व्याकुल रहते हैं।

पिछडे़पन को दूर करने की दिषा में शिक्षा को कारगर हथियार मानते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के माध्यम से न केवल नेपाल के समीपवर्ती जिलों में उच्व्च शिक्षा को विस्तार देने का कार्य किया है बल्कि रोजगार सहित सामाजिक पिछड़ेपन की समस्या के समाधान के लिए भी सकारात्मक पहल की है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कपिलवस्तु में बुद्ध की भूमि पर शांति और करुणा की धारा बहाते हुए मानवीय संवेदनाओं की नई भूमिका तय की है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अभी पिछले दिनो सिद्धार्थनगर, आजमगढ, गाजीपुर और कानपुर में कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। कानपुर में मेट्रो का शिलान्यास किया तो सिद्धार्थनगर में एक विश्वविद्यालय का लोकार्पण। लगता है कि उनकी जीवनशैली में बदलाव आ रहा है। श्री अखिलेश यादव की पृष्ठभूमि ग्रामीण है इसलिए कृषि अर्थव्यवस्था पर उनका विशेष ध्यान रहता है। उन्होंने विकास के लिए बुनियादी ढांचे को भी प्राथमिकता में रखा है।

विपक्षी दल चाहें जो आरोप लगाएं, जनता सब समझती है। जनहित में जितनी योजनांए मुख्यमंत्री ने लागू की है उतनी किसी राज्य की सरकार में नही की। केन्द्र सरकार तो उत्तर प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार ही करती आई है। केन्द्र में सत्तारुढ़ दल के बड़ी संख्या में सांसद व मंत्री होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के विकास में उनका तनिक भी योगदान नही रहा है।

एक बात तो तय है कि जनता विकास चाहती है। जाति और संप्रदाय की राजनीति से वह ऊब चुकी है। विकास की गारंटी अखिलेश यादव ही हो सकते हैं। उन्होंने अब तक कही अपने आदर्शो से समझौता नही किया है। प्रदेश की जनता को बहुत अरसे बाद साफ सुथरी राजनीति के दर्शन हुए हैं, मूल्य बदले हैं। अखिलेश यादव ने परिश्रम कर भारतीय राजनीति के शून्य को न सिर्फ भरा है बल्कि वे डा0 लोहिया की वैचारिक विरासत का नेतृत्व भी कर रहे हैं। उनके कारण माफियाओं से मुक्त राजनीति का आग्रह बना है। नैतिकता के पक्ष को बल मिला है। श्री अखिलेश यादव पर जनता का इसीलिए अटूट विश्वास है और वही प्रदेश की जनता में फिर परिवर्तन की आशा जगाते हैं।