नई दिल्‍ली : भारतीय थलसेना के पूर्व प्रमुख जनरल (रिटायर) वीपी मलिक ने कहा कि भारतीय सेना साल 1999 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करने के लिए तैयार थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सेना को एलओसी पार करने से रोक दिया था। इस निर्णय से सैनिक नाराज भी हुए थे।

एलओसी के पार सेना की ओर से आतंकी ठिकानों पर बीते दिनों की गई सर्जिकल स्‍ट्राइक का पूरा समर्थन करते हुए कारगिल युद्ध के दौरान सेना प्रमुख रहे वीपी मलिक ने बताया है कि 1999 में पाकिस्‍तान अधिकृत क्षेत्र में भारतीय सेना प्रवेश करने को बिल्‍कुल तैयार थी, लेकिन अंतर्राष्‍ट्रीय दबाव के कारण उन्‍हें तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रोक दिया था। मगर इस तरह के निर्णय से सैनिक नाराज हुए थे।

मलिक ने बताया कि उस साल 2 जून को प्रधानमंत्री वाजपेयी ने आर्मी को सीमा पार करने से मना कर दिया था। तत्‍कालीन राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा ने कहा था कि आज सीमा पार नहीं करनी है लेकिन हम कल के बारे में नहीं जानते हैं। मलिक ने कहा कि जब तत्‍कालीन पीएम वाजपेयी के सीमा पार न करने के आदेश से वह काफी दुखी हुए थे। उन्‍होंने बताया कि इस आदेश के बाद वाजपेयी से एक दिन में तीन लंबी बैठकें हुई। इस दौरान उन्‍होंने सीमा पार करने के मुद्दे पर वाजपेयी को समझाने की काफी कोशिशें की लेकिन सब व्‍यर्थ गर्इं। इसके बाद मैं और सभी सैनिक काफी दुखी थे। इसके पीछे कई कारणों में से एक था अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय का भारत पर दबाव, दूसरा आम चुनाव। बाद में समझ आया कि उस वक्‍त के लिहाज से यह सही निर्णय था।

वड़ोदरा में एक कार्यक्रम के दौरान उन्‍होंने बताया कि सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद पाकिस्‍तान पर भारत के खिलाफ आतंक को समर्थन देना बंद करने के लिए हमें अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय से मदद मांगने की जरूरत नहीं है। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्‍होंने यह भी माना कि एक सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद पाकिस्‍तान नहीं बदलने वाला है। उनका कहना था कि हमें उनकी ओर से की जाने वाली कारवाईयों के लिए तैयार रहना होगा।