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रैली में हुई मौतों के लिए सपा सरकार ज़िम्मेदार: मायावती

लखनऊ: कांशीराम स्मारक स्थल पर कल आयोजित रैली के दौरान फैली अव्यवस्था में दो लोगों की मौत तथा कई लोगां के घायल होने की दुर्घटना के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा सरकार की लचर प्रशासनिक व पुलिस व्यवस्था व लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहराया है और लापरवाह व कर्तव्यहीन अधिकारियों के ख़िलाफ सख़्त कानूनी कार्रवाई करने की माँग की है।

मायावती ने मृतक परिवारजनों व घायलों के प्रति गहरा दुःख व संवेदना व्यक्त करते हुये कहा कि बी.एस.पी. के स्वाभिमानी लोगों को 2-2 लाख रुपये का सरकारी ख़ैरात से ज्यादा जरूरी है कि उन्हें न्याय मिलना चाहिये, जो इस दुःखद घटना के लिये लापरवाह व कर्तव्यहीन अधिकारियों को उचित कानूनी सज़ा देकर ही दी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की आमजनता को शान्ति व अमन-चैन के साथ जीने के लिये नितान्त जरूरी अपराध-नियन्त्रण व क़ानून-व्यवस्था के मामले में बुरी तरह से फ्लाप रहने वाली इस सपा सरकार ने हर छोटी-बड़ी आपराधिक घटना/ दुर्घटना व साम्प्रदायिक हिंसा व दंगा आदि के मामले में सरकारी धन बाँटने को ही न्याय मान लिया है, जो कि यह उचित समाधान नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि हर गम्भीर वारदातों में सरकारी धन देने की आड़ में दोषियों व अपराधियों आदि को बचाने का काम किया जाता है। यह कौन सा समाजवादी इन्साफ है जिसकी नई परम्परा वर्तमान सपा सरकार में शुरू की गयी है, इसे लोगों को जरूर समझना चाहिये।
वैसे जैसाकि सर्वविदित था कि बामसेफ, डी.एस.-4 व बी.एस.पी. के जन्मदाता व संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी की पुण्यतिथि पर काफी बड़ी संख्या में लोगों के राजधानी लखनऊ आने की संभावना थी, जिसके बारे में सभी समाचार पत्र लगातार ख़बरें छाप रहे थे। उसके बावजूद प्रशासन व पुलिस की लचर व्यवस्था व उसमें 2 लोगां की मौत को हल्के में सपा सरकार को नहीं लेना चाहिये। इस मामले में प्रथम दृष्टया लापरवाह व दोषी प्रशासनिक व पुलिस अफसरों के खिलाफ फौरन प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिये।

मायावती ने कहा कि हर मोर्चे पर बुरी तरह से विफल व भ्रष्टाचारों की संरक्षक बनी प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार अब लोगों को स्मार्ट फोन देने का छलावा कर रही है। वास्तव में प्रदेश की 20 करोड़ से अधिक आमजनता को प्रदेश की सपा सरकार वैसे ही हवा-हवाई सपने दिखा रही है जैसाकि भाजपा व प्रधानमंत्री पद के उसके उम्मीद्वार नरेन्द्र मोदी ने सन् 2014 के लोकसभा आमचुनाव से पहले दिखाये थे, परन्तु उन वायदों को पूरा करने में नाकाम रहे और निश्चित है कि उक्त वादाख़िलाफी पर लोग अब उन पार्टियों को ‘‘दिन में तारे दिखाने‘‘ पर अमादा लगते हैं।

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