नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। यहाँ तक कि इसको भारत में ‘गांव का दवाखाना’ कहा जाता है। यह अपने औषधीय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक मेडिसिन में पिछले चार हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है। नीम को संस्कृत में ‘अरिष्ट’ भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, ‘श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।‘
नीम के बीज के सत्व का उपयोग आंखों और कानों के लिए मरहम बनाने में किया जाता है। इनमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण यह आंखों और कानों में संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में सहायक होता है। विशेषज्ञों के अनुसार आंखों और कानों में कीटाणुओं और जीवाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण के उपचार में नीम के बीज के सत्व से बनी मरहम का उपयोग बहुत प्रभावी तरीके से किया जा सकता है।
नीम के बीजों से तेल निकालने के बाद जो अवशेष बचता है उससे नीम की टिकिया बनाई जाती है। मिट्टी को पोषक बनाने के लिए इसे जैविक पदार्थ के रूप में मिट्टी में मिलाया जाता है। यह मिट्टी में नाइट्रोजन को कम होने से रोकता है क्योंकि यह नाइट्रीकरण को रोकता है।
नीम के बीज का तेल एक उत्कृष्ट कीट निरोधक है। माली बग़ीचे में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के कीड़ों जैसे इल्ली, घुन, टिड्डी, झींगुर आदि को पेड़ पौधों से दूर रखने के लिए इसका उपयोग करते हैं। आप घर पर भी चींटी, दीमक, तिलचट्टे, मक्खी, खटमल आदि को दूर रखने के लिए नीम के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
ऑर्गेनिक खेती करने वाले कृषक कीटों के संक्रमण को रोकने के लिए नीम के बीज के तेल का उपयोग करते हैं। नीम के पिसे हुए बीजों को रात भर पानी में भिगाकर रखा जाता है तथा इस पानी का फसलों पर छिडकाव किया जाता है। यह छिडकाव अण्डों को निष्क्रिय करता है, कीटों को दूर रखता है तथा उन्हें मारने में सहायक होता है। एक बार छिडकाव होने पर भूख के कारण कीड़े कुछ ही दिनों में मर जाते हैं। नीम के बीज से बने कीटनाशक उत्कृष्ट होते हैं क्योंकि ये रसायन मुक्त होते हैं।
मलेरिया के प्रभावी उपचार में नीम के बीज का उपयोग किया जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, नीम के पीसे हुए बीजों की दुर्गन्ध से मच्छरों को दूर रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा नीम के बीजों से निकले तेल का उपयोग मच्छरों को अंडे देने से रोकता है जिससे मलेरिया की रोकथाम में मदद मिलती है।
यह पाया गया है कि महिलाओं तथा पुरुषों दोनों में जन्म नियंत्रण के लिए नीम प्रभावी रूप से उपयोगी है। महिलाओं में गर्भावस्था को रोकने के लिए नीम के तेल का उपयोग लुब्रीकेंट के रूप में किया जा सकता है। यदि आप परिवार प्रारंभ करने की योजना बना रहे हैं तो निश्चित ही आपको नीम का उपयोग नहीं करना चाहिए। गर्भवती माओं को भी इससे दूर रहना चाहिए।
नीम के बीज के तेल का उपयोग हर्बल उत्पादों के घटक के रूप में किया जाता है। नीम के बीज के तेल से आपकी त्वचा नर्म, चिकनी और चमकदार बनती है। इससे त्वचा स्वस्थ और दाग धब्बों से मुक्त रहती है। नीम के बीज से बने तेल में मौजूद प्राकृतिक एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण इसको उपयोग त्वचा संबंधी विभिन्न समस्याओं जैसे सोरेसिस, एक्जिमा, मुहांसों आदि में किया जाता है। नीम के तेल को साबुन, लोशन, फेस वॉश आदि में भी मिलाया जाता है।
बाल झड़ने, डैंड्रफ जैसी समस्याओं से परेशान हैं तो नीम के बीज से बने तेल के इस्तेमाल से आपको फायदा मिल सकता है। नीम में एंटीबैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी पैरासिटिक गुणों के अलावा, विटामिन सी, प्रोटीन और कैरोटीन प्रचुर मात्रा में है जो न केवल बालों को संक्रमण से मुक्त रखता है और जुएं जैसी समस्याओं से बचाता है बल्कि बालों को लंबे समय तक घना और काला बनाए रखने में मदद करता है। स्वस्थ और चमकीले बालों के लिए आप नीम के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
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