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वक्फ संपत्ति की बर्बादी के पीछे राज्य सरकार का हाथ हैः कल्बे जवाद नकवी

लखनऊ : मजलिसए ओलमाये हिन्द के महासचिव इमामे जुमा मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने अंगूरी बाग लखनऊ में एक मस्जिद के पास वक्फ जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण पर एस0एस0पी0 के निराशाजनक रवैया पर अफसोस जताते हुए कहा कि पहले अंगूरी बाग की जमीन पर हो रहे अवैद्य निर्माण को वक्फ बोर्ड ने यह कहकर रोक दिया था कि ये वकफ की जमीन है।वक्फ बोर्ड ने उन्हें नोटिस जारी किया था कि इस वक्फ जमीन पर निर्माण नहीं किया जा सकता। मगर कुछ दिनों के बाद दूसरे बिल्डर को वक्फ बोर्ड ने एन0ओ0सी0 जारी कर दी कि यह वक्फ की भूमि नहीं है ,इस लिये यहाँ निर्माण किया जा सकता है। मौलाना ने कहा कि मैंने इस संबंध में एस0एस0पी0 से बात की मगर उन्होंने यह कहकर एफ0आई0आर0 लिखने से मना कर दिया कि अगर एफ0आई0आर0 से चेयरमैन का नाम नही हटाया जायेगा तो एफआईआर नही लखी जायेगी । अगर उनका नाम एफआईआर में रहेगा तो एफआईआर नहीं होगी।

मौलाना ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अब जनता को समझ लेना चाहिए कि वक्फ में हो रहे सभी भ्रष्टाचार में सरकार और वक्फ मंत्री शामिल हैं। एस0एस0पी का बयान इस बात की दलील है। मौलाना ने कहा कि ओलमा के खिलाफ एफआईआर हो सकती है मगर वक्फ में बेइमानियॉ करने वालों के खिलाफ एफआईआर नहीं हो सकती ,इसलिए जनता राज्य सरकार के क़ानून प्रबंधन का अनुमान लगा सकती है। मौलाना ने कहा कि हुसैनाबाद ट्रस्ट में जितनी बेइमानियॉ और भ्रष्टाचार हो रहा हैं वे सबको पता हैं।पुरानी इमारतें खोद खोद कर बड़े आलीशान हॉल बनाए जा रहे हैं जिसकी आय ट्रस्ट के बजाय सरकारी लोगों की जेबों में जा रही है मगर अफसोस खुद को अवध के नवाबों का वारिस बताने वाले लोग इस भ्रष्टाचार और अवैध कब्जों पर चुप हैं। अगर उनमें जरा भी गैरत है तो ट्रस्ट की संपत्ति को बचाने के लिए आगे आएं।
मौलाना ने इलाहाबाद में हुयी दुखद घटना की निंदा की और कहा कि इलाहाबाद के इमामे जुमा मौलाना हसन रजा को वक्फ माफियाओं ने धमकी दें और उन पर पिस्तौल तानी, इससे पहले भी उन्हें धमकी दी गई थी जिसके बाद उन्होंने थाने में एफ0आई0आर0 दर्ज कराई थी लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की ।मौलाना ने कहा कि जब मै इलाहाबाद मै मौलाना की अयादत और हालात का जायजा लेने पहुंचा तो देखा कि हजारों युवा वक्फ संपत्ति में हो रहे भ्रष्टाचार का सडकों पर विरोध कर रहे थे ,नोजवानों में पैदा हुई यह जागरूकता सराहनीय है ,मगर लखनऊ की तरह वहाँ भी मौलवी हज़रात मूकदर्शक बने हुए हैं। जब मालए इमाम लेना होता तो सब मौजूद होते हैं मगर जब मालए इमाम बचाने की नौबत आती तो सब गायब हो जाते हैं ,ये अफसोसनाक है।

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