लखनऊ। पुस्तक मेले में तनवीर मैनेजमेण्ट की किताबें लेने पहुंची थी जबकि रमनदीप यहां से पांच किताबें अपने और अपने मित्रों के लिए खरीद चुके थे। नेहा ने कुकरी से सम्बंधित दो पुस्तकें लीं तो सहेली मोना ने अपने साथी हा छोटे भाई के लिए दो प्रेरक पुस्तकें लीं। राणाप्रताप मार्ग मोतीमहल वाटिका में चल रहे चौदहवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आकर लोग अपनी रुचि और जरूरत के हिसाब से ऐसी ही किताबें ले रहे हैं। किताबें खरीदने के साथ ही लोगों ने आज आरजे जेपी, आरजे सुष्मित और गायिका निधि की गजलों का आनन्द भी लिया।
दि फेडरेशन ऑफ पब्लिशर्स एण्ड बुकसेलर्स एसोसिएशन्स इन इण्डिया, नई दिल्ली के सहयोग से हो रहे के.टी.फाउण्डेशन के इस चौदहवे मेले का आज चौथा दिन था। रोज सुबह 11 से रात नौ बजे तक चल रहे निःशुल्क प्रवेश वाले इस मेले में पुस्तक प्रेमियों को हर बार की तरह न्यूनतम 10 फीसदी की छूट पुस्तकों पर मिल रही है। पुस्तक मेले में आज स्वास्थ्य मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने भ्रमण किया।
मेले में लोगों को शिखर बुक सेण्टर, नन्दा बुक सर्विस, लेक्सीकॉन बुक्स, पत्रिका प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, पद्म बुक, यूनीकॉर्न बुक्स, वैदिक साहित्य केन्द्र, गौतम बुक सेण्टर, राइजिंग पब्लिशर्स, आशीर्वाद बुक डिपो व दीप बुक जैसे स्टालों पर खरीदारी करते देखा गया। स्वास्थ्य आयोजनों के क्रम में आज दिन में विशेषज्ञों की मदद से योग पर चर्चा-परिचर्चा और प्रतियोगिता का कार्यक्रम चला।
शाम को डाक्टर से मिलिए कार्यक्रम में प्रो.वाणी गुप्ता ने मेटाबालिक सिण्ड्रोम से सम्बंधित जानकारी पण्डाल में उपस्थित पुस्तक प्रेमियों के समक्ष रखी व प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
एन ईवनिंग आफ गजल्स की शुरुआत शास्त्रीय अंदाज में नवयुवा कथक नृत्यांगना ईशा रतन-मीशा रतन द्वारा प्रस्तुत रामस्तुति से हुई।ं आरजे जेपी पाण्डेय ने सबसे पहले मेंहदी हसन की गाई गज़ल- ‘गुलों में रंग भरे….’ से आगाज किया और आगे प्यार का पहला खत….. अर्थ फिल्म की ‘कोई ये कैसे बताए…..’ और ‘चल मेरे साथ ही चल ऐ मेरी जाने गजल…’ जैसी गजलें पढ़ीं। भरतनाट्यम नृत्यांगना व गायिका निधि निगम ने ‘हम तो हैं परदेस में….’ और मेरी सब कोशिशें….’ जैसी गजलों के साथ आरजे सुष्मित के साथ भी गजलों को सुरों में ढालकर शाम को सुरमई बना दिया।
मेले के सांस्कृतिक मंच पर लखनऊ बंगीय नागरिक समाज की ओर से प्रसिद्ध समाजसेवी ईश्वरचन्द्र वि़द्यासागर की 196वीं जयंती समारोह आयोजित किया गया। आयोजन में सम्मान समारोह भी आयोजित हुआ। वागेश्वरी प्रासाद मिश्र वागीष की कृति ‘गीत के गांव में’ जहां कुछ गीतों की बयार बही वहीं भोजपुरी बोली भी सुनने को मिली। कार्यक्रम में डा.किशोरीशरण शर्मा, दयानन्द पाण्डेय, डा.अमिता दुबे व सुशीला झा ने विचार रखे। ज्योति किरन रतन के संयोजन में बाल-युवा मंच पर बाल-युवा प्रतियोगिताओं में आज केरीकेचर, एक्सटम्पोर और परिधान प्रतियोगिताएं चलीं। प्रतियोगिताओं में अविका, शुभम , कल्पना, ज्योति, तृप्ति, अपर्णा, परी, तान्या, रजनी, माहुल, राहुल, स्वप्निल, त्विषा, अवन्तिका, तनिष्का, लावण्या, मेधा, विदुषी, अनुश्री, रत्नेश, फैजल आदि बच्चों व नवयुवाओं ने प्रतिभाग किया। इस मंच पर आज कथक अकादमी में तालीम ले रहे बच्चों ने गुरु अर्जुन मिश्र को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कथक के शुद्ध प़क्ष अंग के साथ स्तुतियों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।