लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज संेट फ्रांसिस कालेज में मदर टेरेसा को संत का दर्जा दिये जाने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीयों के लिए यह अभिमान की बात है कि मदर टेरेसा को संत का दर्जा प्रदान किया गया। मदर टेरेसा की मानवता की सेवा को देखते हुए 1980 में उन्हें भारत का ‘सर्वोच्च सम्मान‘ भारत रत्न प्रदान किया गया था। यह हमारे देश की विशेषता है कि देश द्वारा मदर टेरेसा, खान अब्दुल गफ्फार खान व नेल्सन मण्डेला को भारत का सर्वोच्च सम्मान दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में सर्वधर्म समभाव की तथा भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बकम की विशेषता है।
श्री नाईक ने कहा कि मदर टेरेसा की सेवा का कोई पर्याय नहीं है। मदर टेरेसा ने निर्बलों, वृद्धों एवं कुष्ठ पीड़ितों की जिस प्रकार सेवा की, वह अतुलनीय है। कुष्ठ पीड़ितों से लोग अमानवीय व्यवहार करते हैं जबकि विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि कुष्ठ रोग का इलाज भी संभव है तथा यह संक्रामक भी नहीं है। देश में कुष्ठ रोग से जुडे़ 19 ऐसे कानून हैं जिन्हें बदलने की जरूरत है। मदर टेरेसा जैसे लोगों को प्रोत्साहन देना समाज का कर्तव्य है, क्योंकि इससे दूसरों को सेवा करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि हमें संकल्प लेने की जरूरत है कि जो राह मदर टेरेसा ने दिखाई उस पर चलते हुए पीड़ित मानवता के समाधान के लिए काम करें।
राज्यपाल ने इस अवसर पर मदर टेरेसा से जुडे़ ‘भैय्या जी‘ को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में फादर राबर्ट पिन्टो की पुस्तक ‘स्परिचुअलिटी आफ मदर टेरेसा‘ का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में बिशप डाॅ0 जेराल्ड मैथाइज एवं सिस्टर एंथिया ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर पूर्व सांसद श्री लालजी टण्डन, पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिजवी, विधायक श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी सहित बड़ी संख्या में विशिष्टजन उपस्थित थे।