लखनऊ: विभिन्न देशों से अमन का पैगाम लेकर आए उलमा ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया। आज मदरसा अबुतालिब में अंतरराष्ट्रीय शिया धर्मगुरुओं के सम्मेलन में ईरान, इराक व कुवैत सहित अन्य मुल्कों से आए उलमा ने कहा कि भले ही हमारी भाषा और संस्कृति अलग अलग हो लेकिन मकसद एक है। इंसानियत के दुश्मनों को बेनकाब कर सबक सिखाना होगा। कहा कि जो मुल्क का नहीं वह किसी धर्म का नहीं हो सकता। सम्मेलन में उलमा ने पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की संयुक्त राष्ट्र से अपील भी की।

ईरान से आए मौलाना शेख मेहंदी माश ने कहा कि कई भाषा, संस्कृति व धर्म होने के बावजूद भी हिंदुस्तान के लोग जिस प्यार मुहब्बत से रहते हैं, वह दुनिया के लिए एक मिसाल है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक ने कहा कि मदरसों के बच्चे केवल इस्लामिक शिक्षा न हासिल करें, बल्कि वह हर एक क्षेत्र में इल्म हासिल करे और समाज में इस्लाम का असली चेहरा पेश करें।

सम्मेलन के दूसरे सत्र में मुरादाबाद से आए मुफ्ती हबीबुर्रहमान ने मुसलमानों से देश की सुरक्षा में आगे आने की अपील की। मौलाना मशरकैन ने कहा कि इस्लाम ने भी मुल्क से मुहब्बत का पैगाम दिया, जो मुल्क का नहीं वह किसी भी धर्म का नहीं हो सकता। मौलाना सैफ अब्बास ने भारतीय सेना पर हो रहे हमलों की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए पाकिस्तान के बहिष्कार का एलान किया। उन्होंने कहा कि उलमा की तरफ से जल्द ही प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा जाएगा।

ईरान के मेहंदी माश, कुवैत के सालेह आशूर व इराक के शेख अब्बास सहित अन्य उलमा ने कहा कि आज पूरी दुनिया आतंक के साए में जी रही है। यदि ईरान, इराक, कुवैत व भारत एकजुट हो जाए तो आतंक को मुंहतोड़ जवाब दे सकते हैं।

उलमा ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का हक दिया है। इस्लाम ने निकाह को जितना आसान बनाया है, तलाक देने को उतना ही मुश्किल। तलाक का हल कुरआन शरीफ में मौजूद है। कुरआन की शिक्षाओं पर अमल करके न केवल तलाक बल्कि समाज में व्याप्त हर बुराई को दूर किया जा सकता है।