नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के उरी में बीते रविवार को सेना मुख्यालय पर हुए भीषण आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने संभाल ली है। एनआईए की टीम ने उरी पहुंचकर इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
एनआईए की 6 सदस्यीय टीम ने उरी आतंकी हमले की जांच तेज करते हुए इस मामले में एफआईआर दर्ज कर लिया है। टीम ने मौके से कई सैंपल बरामद किए हैं, जिनमें आतंकियों के खून के नमूने भी हैं। (एनआईए) की टीम ने उरी में हमला स्थल से सुराग तथा अन्य सबूत जुटाने का काम शुरू कर दिया है। सेना इस हमले के दौरान बरामद सामान और सभी दस्तावेजों को एनआईए को सौंपेगी।
सूत्रों के अनुसार, एनआईए इस हमले में दो रणनीतियों पर काम कर रही है। पहला यह कि आतकियों ने उरी में कैसे सुरक्षा लाइन को तोड़ा। दूसरा- क्या सेना के किसी आदमी ने सुरक्षा सूचना ली की। जांच के दौरान मिली चीजों में शामिल आतंकियों के जीपीएस सेट और नेविगेशनल मैप को एनआईए के हवाले करने के निर्देश दिए गए हैं। एनआईए ने फॉरेंसिक जांच के लिए जीपीएस सेट अमेरिका भेजने का फैसला किया है। जीपीएस सेट की फॉरेंसिक जांच के बाद ये पता चलेगा कि आतंकियों ने कब और किस रूट के जरिए भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे।
उरी आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की भागीदारी को साफ करने के लिए सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों को इस्तेमाल किया जाएगा। नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर इस काम में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए की मदद करेगा। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों की मदद से उरी हमले की घटनास्थल का एक नक्शा बनाया जाएगा। सैटेलाइट के जरिए ली गई इस तस्वीर के जरिए पूरी आतंकी घटना को ठीक से समझने की कोशिश की जाएगी।
टीम जांच करके सुरक्षा खामियों का पता लगाएगी। साथ ही आतंकियों की ओर से इस्तेमाल किए गए रास्ते की पहचान भी करेगी। इस जांच का एक मकसद पाक के खिलाफ मजबूत सबूत जुटाना भी है।
जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के पीछे एक बार फिर से पाक प्रायोजित आतंकियों के हाथ होने की बात सामने आ रही है।
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