लखनऊ: शहरों में फुटपाथ या फिर फेरी लगाने वालों को धंधा करने के लिए अब निकायों से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी होगा। इसके लिए उन्हें निकायों में पंजीकरण कराते हुए कार्ड प्राप्त करना होगा। नगर आयुक्त व अधिशासी अधिकारियों की अध्यक्षता में टाउन वेंडिंग कमेटी बनेगी। नगर विकास विभाग ने इसके लिए उत्तर प्रदेश पथ विक्रेता योजना लागू कर दिया है।

शहरों में फुटपाथ पर कारोबार से जाम की सबसे बड़ी समस्या है। इससे लोगों को परेशानियों को सामना करना पड़ता है और दुकानदारों को भी समस्याएं होती हैं। राज्य सरकार ने इसीलिए उत्तर प्रदेश पथ विक्रेता योजना शुरू की है। इसका मकसद फुटपाथ दुकानदारों का पंजीकरण करना, उन्हें कार्ड देना और उन्हें एक निश्चित स्थान पर सारी सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

टाउन वेंडिंग कमेटी का मुख्य काम ऐसे दुकानदारों को चिह्नित कराने के लिए सर्वे के साथ पूरा ब्यौरा कंप्यूटर पर फीड करते हुए 60 दिनों के अंदर पथ विक्रय प्रमाण पत्र देना होगा। फुटपाथ पर कारोबार करने वालों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे शहरी सुविधाओं का ध्यान रखें जिससे लोगों को असुविधा न हो।

निकायों में दुकानदारों को पंजीकरण कराने के लिए निर्धारित शुल्क देना होगा। निकाय इसे अपने हिसाब से तय करेंगे। दुकानदारों को लाइसेंस तीन साल के लिए दिया जाएगा और इसके बाद इसका नवीनीकरण होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर फुटपाथ व फेरी पर दुकान करने वालों का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। फुटपाथ व फेरी पर दुकान करने वाले सड़कों पर इधर-उधर सामान नहीं फेक सकेंगे और न ही नाला-नाली व सीवर लाइन में फेंका जाएगा।

फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों के लिए आबादी के आधार पर वेडिंग जोन बनाए जाएंगे। इसमें ऐसे दुकानदारों के लिए सभी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। उन्हें पानी, बिजली के साथ कूड़ा एक स्थान पर डालने के लिए स्थान बनाए जाएंगे। निकायों को इसके लिए पहले से स्थान चिह्नित करना होगा।