लखनऊ। पिछले दो दिनों से सपा में चल रहे सियासी घमासान के बाद शिवपाल यादव ने अखिलेश मंत्रिमंडल के साथ-साथ यूपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया है। विरोध में शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव ने भी कॉपरेटिव फेडरेशन के चेयरमैन पद से इस्तीफे की खबर है। बेटे के बाद शिवपाल की पत्नी सरला यादव ने इटावा में जिला सहकारी बैंक की चेयरमैन से भी इस्तीफा दे दिया है। हालांकि आदित्य के इस्तीफे की पुष्टि देर रात तक नहीं हो सकी थी। वहीँ सूत्रों के मुताबिक शिवपाल कल सुबह अपना सरकारी बंगला खाली कर देंगे। इस बीच शिवपाल के बंगले पर समर्थक विधायकों और नेताओं व कार्यकर्ताओं का पहुंचना शुरू हो गया है और शिवपाल के समर्थन में नारेबाजी चल रही है । हालाँकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंत्रिपद से शिवपाल का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है।
इससे पहले मुलायम सिंह कुनबे की कलह को दूर करने के लिए सुबह दिल्ली से लखनऊ पहुंचे। शाम को खबरें आईं थीं कि शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव से उनके घर जाकर मुलाकात की थी। यह मुलाकात 10 मिनट की हुई। उसके घंटेभर बाद अखिलेश पिता मुलायम से मिलने रवाना हो गए थे। उस समय लग रहा था कि मुलायम सिंह अपने कुनबे को टूटने से बचा ले गए। लेकिन देर रात अचानक शिवपाल ने धमाका कर दिया। उन्होंने पहले अखिलेश मंत्रिमंडल से और फिर यूपी प्रदेश अध्यक्ष के पद से भी इस्तीफा दे दिया।
सूत्रों के मुताबिक शिवपाल भतीजे अखिलेश के अपने प्रति रवैये से बेहद आहत हैं। इससे पहले चाचा-भतीजे की लड़ाई में कुछ नरमी आने के संकेत मिल रहे थे। पारिवारिक तकरार के कारण छाये संकट के बादल हटाने के लिए पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह ने पुरजोर कोशिश की थी। उसके बाद से ही शिवपाल ने अपने रुख में नरमी के संकेत भी दिए थे।
कल दिल्ली में मुलायम से मुलाकात करने वाले शिवपाल यादव ने आज कहा कि सपा में सब ठीक है। हम एक साथ यूपी में चुनाव लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे। मैं अभी भी मंत्री हूं और जो पद मुझे दिया गया है वो बहुत महत्वपूर्ण है। हमारी सरकार ने 4 साल में बहुत काम किए हैं। वहीं आज लखनऊ पहुंचे वरिष्ठ सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा था कि पार्टी में कोई संकट नहीं है। किसी बाहरी की वजह से पार्टी में झगड़ा नहीं है। मैं आज अखिलेश से मुलाकात करूंगा। उनसे मुलाकात के बाद आगे की जानकारी दूंगा।
इससे पहले कल अपने भाई और बेटे पुत्र के बीच तकरार को लेकर उलझन में फंसे सपा मुखिया मुलायम सिंह ने शिवपाल से मिलकर संकट को दूर करने की कोशिश की। पार्टी सूत्रों ने कहा है कि मुख्यमंत्री को इस बात के लिए मनाया जा सकता है कि वह महत्वपूर्ण विभागों को लौटाकर इस मुद्दे पर अपने रूख को नरम करेंगे।
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