लखनऊ: आदिवासी समाज नहीं चेता तो पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना अधिकार के लिए बने वनाधिकार कानून को केन्द्र की मोदी सरकार छीन लेगी। इस सरकार ने वृक्षारोपण के नाम पर कैम्पा कानून को लागू करके वन विभाग को आदिवासियों, दलितों और अन्य वनाश्रित जातियों की पुश्तैनी जमीन पर कब्जा करने का असीमित अधिकार दे दिया है। इतना ही नहीं वनाधिकार कानून और भूमि अधिग्रहण कानून में ग्रामसभा की सहमति को कमजोर करने में यह सरकार लगी हुई है। वनाधिकार कानून को खत्म करने में उ0 प्र0 की सपा सरकार भी मोदी सरकार की मदद कर रही है। प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष ही केन्द्र को प्राप्त 93500 दावों में 74945 दावों को खारिज करने की रिपोर्ट भेज दी है। इसमें सोनभद्र जनपद के 65526 प्राप्त दावों में से 53506 खारिज किए जा चुके है। इसमें भी सत्तर प्रतिशत दावे दुद्धी तहसील के आदिवासियों के है। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रदेश सरकार आदिवासियों व वनाश्रित जातियों को उनकी पुश्तैनी जमीन पर अधिकार देने को तैयार नहीं है।

आदिवासियों, दलितों व वनाश्रित जातियों के वनाधिकार के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करूंगा। यह ऐलान दुद्धी के गोड़वाना भवन में आयोजित बैठक में पूर्व विधायक व मंत्री विजय सिंह गोंड ने किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आदिवासी उन्मूलन में लगी है। इस सरकार ने आरक्षण से लेकर जमीन और मजदूरी और मान सम्मान तक पर हमला कर दिया है। सम्मेलन में जुटे हजारों आदिवासियों ने मुठ्ठी बांधकर आदिवासियों के अधिकार के लिए दुद्धी से लेकर दिल्ली तक लड़ने का संकल्प लिया और 20 को राबर्ट्सगंज में आयोजित धरने में शामिल होने का निर्णय लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता रमा शंकर ओयमा, संचालन बबई मरकम ने किया।

सम्मेलन में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के प्रदेश महासचिव व आदिवासी अधिकार मंच के संयोजक दिनकर कपूर ने कहा कि आदिवासी बहुल सोनभद्र, मिर्जापुर और नौगढ़ के इस आदिवासी क्षेत्र की नदी, पहाड़ी और जमीन को लूट लिया गया है। यहां की सामाजिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत को बर्बाद कर दिया गया है। उ0 प्र0 सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले क्षेत्र में आज भी गांव में जाने को सड़क तक नहीं है, चुआड़, नालों और बांध से लोग पानी पीकर मरने के लिए अभिशप्त हैं। शिक्षा और इलाज तक की व्यवस्था नहीं है। यह हालात देश व प्रदेश में राज करने वाले हर दलों की सरकार में बने हैं । इसलिए इस क्षेत्र के विकास और आम नागरिकों की जिदंगी की हिफाजत के लिए आज जरूरत है कि इस इलाके की राजनीति की दिशा को बदला जाए। हमें उम्मीद है कि आदिवासी समाज का यह आंदोलन इस इलाके की राजनीति की दिशा बदलेगा।

सम्मेलन को रामायन गोड़, राम प्रसाद पनिका, महावीर प्रसाद, हरीकेश्वर गोंड़, मान सिंह, रामकेश पूर्व प्रधान, रामनाथ, रामजीत, मुहम्मद हुसैन, अनवर अली, कैलाशनाथ, रामचंर सिंह, अमृतलाल, ललित सिंह गोंड़, रामरती, उदसिया देवी, अशर्फीलाल गोंड़, रामसुन्दर प्रधान, राम सुदंर सिंह गोंड, बेचू सिंह, शाबिर हुसैन आदि ने सम्बोधित किया।