नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चुनाव सुधार की बात करते हुए कहा कि आचार संहिता में अब बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी दलों को इसमें विचार करना चाहिए।
इससे पहले नेटवर्क 18 को दिए इंटरव्यू में भी पीएम मोदी ने एक साथ चुनाव की बात की थी। उन्होंने कहा था कि पिछले दिनों मुझे जितनी पॉलिटिकल पार्टियां मिली हैं कोई प्रखरता से तो कोई दबी जुबान में कहता है कि साहब ये बार-बार चुनाव के चक्कर से देश को बाहर निकालिए। क्यों न लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ हों। उसी समय क्यों न स्थानीय स्वराज के चुनाव हों। हफ्ते 10 दिन के भीतर चुनाव का सारा काम पूरा हो जाए और 5 साल देश चलता रहे। लेकिन ये काम कोई एक दल नहीं कर सकता। सभी दलों को मिल करके करना पड़ेगा। ये काम सरकार नहीं कर सकती। इलेक्शन कमीशन के नेतृत्व में जब सभी दल एकजुट होकर सोचेंगे, तभी हो सकता है।

शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में शिक्षा के स्तर को भी और उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों की मौजूदगी के बावजूद देश में शिक्षा की गुणवत्ता में बहुत कमी है। उन्होंने कहा कि भारतीय छात्रों के विदेशी संस्थानों में जाने के प्रवाह को बदलने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जहां तक कैंपस भर्ती की बात है तो हमारे आईआईटी, हमारे एनआईटी अब तक शानदार रहे हैं। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि इस आधारभूत ढांचे के बावजूद शिक्षा की गुणवत्ता में बहुत कमी है। इस कार्यक्रम में देशभर के 364 स्कूली शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मुखर्जी ने कहा कि जब तक हमारे पास शिक्षा में गुणवत्ता नहीं होगी, आप ज्ञान वाले समाज को नहीं बना सकते।