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दादरी में दलित कार्यकर्ताओं के पुलिसिया उत्पीड़न की निंदा

लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने जातीय उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर दादरी में दलित कार्यकर्ताओं का पुलिस द्वारा उत्पीड़न करने की कड़ी निंदा की है।
पार्टी की राज्य स्थायी समिति के सदस्य अरुण कुमार ने आज यहां बताया कि गौतमबुद्ध नगर में दादरी के रामगढ़ गांव में दलित समुदाय के तीन युवा माले कार्यकर्ताओं को प्रदेश पुलिस ने प्रभावशाली समुदाय के दो लोगों पर गोली चलाने का झूठा आरोप मढ़ कर गिरफ्तार कर लिया, ताकि वे उत्पीड़न के एक अन्य मामले में न्यायालय में गवाही न दे सकें। इन कार्यकर्ताओं के नाम हैं- ब्रह्म जाटव, विकास व भुवनेश और इनकी गिरफ्तारी ऐन मुकदमे की सुनवाई से पहले की गई।
उन्होंने कहा कि रामगढ़ गांव के दलित 2012 से ही उत्पीड़न, हिंसा और झूठे मुकदमों के शिकार हैं, जब उन्होंने पहली बार अपनी पंचायत की जमीन पर अपना दावा पेश किया था। उस समय के ग्राम प्रधान कुलदीप भाटी और उसके गुण्डों ने तलवारों व कुल्हाड़ियों से दलित समुदाय के लोगों पर हमला किया था। एक युवा दलित टिंकू राम को तो जबर्दस्ती रेल की पटरी पर डाल दिया गया था, जिसमें उसकी दोनों टांगें कट गईं थीं। उस समय भी कई युवा दलित कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में महीनों जेल काटनी पड़ी थी।
उन्होंने बताया कि अभी भी टिंकू राम पर हमले का मुकदमा जिला न्यायालय में लटका हुआ है, क्योंकि हमलावर पुलिस से मिलीभगत करके तरह-तरह के बहानों से उसे आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं। बीती 31 अगस्त को उसी केस में टिंकू राम के पक्ष में गवाहियां होनी थीं, लेकिन दबंग अभियुक्तों की मांग पर मुकदमे की तिथि टाल दी गईं। दो दिन बाद पुलिस ने उपरोक्त जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, वे वही लोग हैं जिनको गवाहियां देनी थीं। स्पष्ट है कि टिंकू राम के केस को कमजोर करने के लिए ही इन दलित कार्यकर्ताओं को झूठे मामले मे फंसा कर गिरफ्तारियां की गई हैं।
उन्होंने बताया कि इसी रामगढ़ गांव से पिछले पंचायत चुनाव में दलित प्रत्याशी कामरेड मंजू पहली बार ग्राम प्रधान का चुनाव जीती हैं। कामरेड मंजू के पति कामरेड ब्रह्म जाटव, टिंकू राम के भाई भुवनेश और चचेरे भाई विकास को फंसाने का मतलब यह भी है कि पंचायत चुनाव में पहली बार एक दलित प्रत्याशी को मिली जीत दबंगों को बर्दास्त नहीं हो रही है।
उन्होंने इन तीनों युवा कार्यकर्ताओं की अविलंब बिना शर्त रिहाई और पुलिस द्वारा दलितों के उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।

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