नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान, 'ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कांग्रेस ने जितनी परेशानियां झेली होंगी, बीजेपी को आजाद भारत में उससे कहीं अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा' पर कांग्रेस ने शुक्रवार को हमलावर रुख दिखाया। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने पीएम से पूछा कि आखिर बीजेपी ने ऐसी कौन सी तकलीफ उठाई जो नेहरू, गांधी, गोविंद बल्लभ पंत, मौलाना आजाद ने नहीं उठाई।
शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद से कई राज्यों में इनकी सरकार बनी। यहां तक कि केंद्र में भी सरकार बनी, इसलिए पीएम का बयान बेकार है। उन्होंने पीएम के बयान को झूठा करार देते हुए उन्हें पद की गरिमा का ख्याल रखने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि उनको खेद तो जताना ही चाहिए बल्कि माफी मांगनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने यहां बीजेपी के नए मुख्यालय की आधारशिला रखने के दौरान कहा था कि बीजेपी ने किसी भी अन्य दल से अधिक बलिदान दिया है। देश की ताकत बढ़ने के साथ ही अलगावादी ताकतें अधिक सक्रिय हो गई हैं और अब यह सुनिश्चित करना अधिक जरूरी हो गया है कि समाज को मजबूत किया जाए और अधिक समरसता बढ़े।

कांग्रेस ने इसी बयान को मुद्दा बनाते हुए कहा कि बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस और जन संघ का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है। इन लोगों ने अंग्रेजों की तरफदारी की। भारत छोड़ो आंदोलन पर गांधीजी का विरोध किया था। विश्वयुद्ध की याद दिलाते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि जब अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि भारत विश्वयुद्ध में शामिल होगा तो कांग्रेस के साथियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन वीर सावरकर ने अंग्रेजों को पत्र लिखकर कहा था कि वह सरकार में शामिल रहेंगे। बंगाल में फजलूल हक की सरकार में श्यामा प्रसाद मुखर्जी शामिल हुए। श्यामा ने भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ अंग्रेज सरकार को पत्र लिखा।
आनंद शर्मा ने बीजेपी पर हमला करते हुए उससे जुड़े संगठनों को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि आरएसएस और हिंदू महासभा ने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया। बीजेपी की कोशिश है कि स्वतंत्रता संग्राम के कुछ नेताओं को अपना लें। पहले सरदार पटेल को अपनाने की कोशिश की और अब बाकी लोगों के लिए कर रहे हैं। पीएम पर निशाना साधते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि उन्होंने गांधी, नेहरू का अपमान किया है। स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं का अपमान किया है।
उन्होंने कहा कि ये एक नया इतिहास लिखने की कोशिश कर रहे हैं। सरदार पटेल को लेकर ये जताने की कोशिश करते रहे हैं कि नेहरू और पटेल दोनों अलग थे। ये पटेल जी का एक बड़ा सा बुत बना रहे हैं। वो भी चीन में न कि भारत में। अच्छी बात है। लेकिन पटेल को अच्छी श्रद्धांजलि तब ही मिलेगी जब वो पटेल जी के वो दो पत्र जो उन्होंने RSS पर लिखे, पटेल जी की मूर्ति के नीचे रख दें।