आसिफ मिर्ज़ा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में सियासी असर रखने वाले कौमी एकता दल (कौएद) के समाजवादी पार्टी में शामिल होने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। मुख्तार और अफजाल दोनों समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक अंसारी बंधुओं को समाजवादी पार्टी में शामिल करने का फैसला खुद मुलायम सिंह यादव का है। आपको बता दें कि बीते दिनों कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय होना करीब-करीब पक्का हो गया था, लेकिन अखिलेश यादव के दखल के बाद पार्टी ने अपना फैसला बदला था।

आपको बता दें कि पिछले महीने अफजाल अंसारी ने शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी में अपनी पार्टी कौमी एकता दल के विलय की घोषणा की थी। लेकिन अगले दिन ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विरोध के बाद पार्टी सुप्रीमो ने एक विलय ने इंकार कर दिया था। जिसके पीछे की वजह कौमी एकता दल के विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि को कारण बताया गया था।
गौरतलब है कि जून 2016 में शिवपाल यादव ने अफजाल अंसारी को सपा में शामिल कराते हुए कौमी एकता दल का विलय पार्टी में करवाया था। इस बात पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मंत्री बलराम यादव को बर्खास्त कर दिया था। उस वक्त बताया जा रहा था कि बलराम यादव ने कौमी एकता दल के विलय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं मुख़्तार की पार्टी के विलय के बाद यादव परिवार दो खेमों में बंट गया था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उस वक्त दो टूक शब्दों में कहा था कि किसी भी माफिया का पार्टी में स्वागत नहीं है। मुख्यमंत्री के दबाव में उस वक्त पार्टी सुप्रीमो ने कौमी एकता के विलय को रद्द कर दिया था। जिसके बाद बलराम यादव को फिर से मंत्री बनाया गया था। आपको बता दें कि मुख्तार के भाई अफजाल कौमी एकता दल के के अध्यक्ष हैं। मुख्तार और सिबकतुल्ला अंसारी पार्टी के दो विधायक हैं। इस विलय से सपा को पूर्वांचल में मुस्लिम वोट बैंक को साधने में फायदा मिलेगा।
आज स्वतंत्रता दिवस पर अवकाश है। सारे दफ्तर बंद हैं। कोई बड़ी राजनीतिक गतिविधि न होने की वजह से मीडिया में पूरे दिन अफजाल अंसारी की कौमी एकता दल के सपा में विलय की खबरें प्रमुखता से चली हैं। हालांकि, जब मामले अफजाल अंसारी से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया है।