उमा भारती ने दिया विवादास्पद बयान

नई दिल्ली। नई दिल्ली। एक तरफ जहां शाहरुख खान को अमेरिकी में एयरपोर्ट पर रोके जाने को लेकर शिवसेना ने गहरी नाराजगी जताई है, वहीं बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कुछ और ही बयान दिया है। उनका ये बयान सियासी विवाद पैदा कर सकता है।
अमेरिकी एयरपोर्ट पर शाहरुख़ खान को हिरासत में लिए जाने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने उज्जैन में कहा कि एक बात अच्छी हो जाएगी कि इनको भारत देश अच्छा लगने लग जाएगा।
अमेरिकी हवाईअड्डे पर बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरूख खान को हिरासत में लिए जाने के मुद्दे पर शिवसेना ने आज कहा है कि अमेरिका में एक और अपमान होने के बाद शाहरूख को स्वाभिमानी रख दिखाते हुए भारत लौट आना चाहिए था। शिवसेना ने ‘सहिष्णु अभिनेता’ के बार-बार अमेरिका जाने का जिक्र करते हुए कहा कि अगर वह लौटने का फैसला कर लेते तो यह अमेरिका के मुंह पर एक तमाचा होता।
शिवसेना पिछले सात साल में तीसरी बार अमेरिकी हवाईअड्डे पर शाहरूख खान को हिरासत में लिए जाने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया दे रही थी। बॉलीवुड अभिनेता को कल लॉस एंजिलिस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया था।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि अमेरिका के अधिकतर बड़े हवाईअड्डों पर शाहरूख के साथ ऐसा होना आम बात है। फिर भी यह सहिष्णु अभिनेता बार-बार अमेरिका जाता है..सिर्फ अपमान करवाने के लिए। शिवसेना ने कहा कि उन्हें स्वाभिमानी रख दिखाते हुए लौट आना चाहिए था और अमेरिका को बताना चाहिए था कि अगर तुम इस तरह से मेरा अपमान करने वाले हो तो मैं तुम्हारे देश में कदम नहीं रखूंगा।
शिवसेना ने कहा कि उन्होंने ऐसा किया होता तो यह अमेरिका के मुंह पर तमाचा होता। अमेरिका हर मुस्लिम को एक आतंकवादी के तौर पर देखता है। शिवसेना ने यह भी कहा कि बॉलीवुड के खान अभिनेताओं को चाहिए कि वे उन्मादित होकर सड़कों पर उतरे हुए कश्मीरी युवाओं को सही दिशा दिखाएं।
शिवसेना ने कहा कि बॉलीवुड के खानों को कश्मीर में गुमराह होकर उपद्रव मचा रहे युवाओं को ट्विटर के जरिए ‘सही दिशा’ दिखानी चाहिए। संपादकीय में बीते नवंबर की उस घटना का भी हवाला दिया गया, जिसमें आमिर खान ने कहा था कि उनकी पत्नी किरण राव ‘असुरक्षा’ के माहौल में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर डरी हुई हैं और वह इस बात पर विचार कर रही हैं कि क्या उन्हें भारत से बाहर चले जाना चाहिए।
यह उस समय की बात है, जब भारत में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ पर भारी बहस छिड़ी हुई थी। उस दौरान ‘असहिष्णुता’ के विरोध में कई कलाकारों और लेखकों ने सरकारी पुरस्कार लौटा दिए थे।