श्रेणियाँ: राजनीति

तिरंगे का राजनीतिकरण कर रहे हैं पीएम मोदी

भाजपा की ‘‘तिरंगा यात्रा‘‘ पर मायावती ने उठाया सवाल
लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भारत की पहचान ‘‘तिरंगा‘‘ का भी राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुये कहा कि भाजपा का 15 से 22 अगस्त तक चलने वाला ‘‘तिरंगा यात्रा‘‘ वास्तव में केन्द्र सरकार की घोर विफलताओं पर से जनता का ध्यान बांटने का एक और प्रयास है।
इसके साथ ही मायावती ने आज जारी एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार अपने पिछले दो वर्षों के शासनकाल में जनहित व जनकल्याण के मामले में ख़ासकर ‘‘काम कम, बातें अधिक‘‘ ही करती रही है, जिससे लोगों की बहुत सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है और अपनी उसी विफलता पर से लोगों का ध्यान बांटने के लिये भाजपा व उसकी केन्द्र की सरकार क़िस्म-क़िस्म की नाटकबाजी अब तक करती रही है। परन्तु अपने शासनकाल के तीसरे वर्ष में उनकी सरकार राष्ट्रीय चिन्हों व राष्ट्रीय अस्मिता आदि से जुड़े मुद्दों को लेकर राजनीति करनी शुरू कर दी है, जिसके क्रम में ही ‘‘तिरंगा यात्रा‘‘ व आज़ादी के 70 वर्ष पूरे होने पर ‘‘आज़ादी-70 वर्ष-याद करो कुर्बानी‘‘ आदि प्रोग्राम आयोजित किये जा रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के बार-बार के आह्वान के बावजूद उनके सांसद व मंत्रीगण आदि जनता का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं और विभिन्न स्थानों पर जाकर सरकारी ख़र्चे पर प्रेस कांफ्रेन्स आदि करके केवल खानापूर्ति कर लेते हैं। यही अब तक उनके अनेकों ऐसे कार्यक्रमों में देखने को मिला है।
इसके साथ-साथ ऐसा लगता है कि भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने पैतृक संगठन आर.एस.एस. को उस गिरी हुई मनोभावना से उभारना चाहते हैं जिससे वे लोग स्वाधीनता संग्राम में भाग नहीं लेने के कारण आत्म ग्लानि से ग्रस्त रहते हैं। जैसाकि सर्वविदित है कि आर.एस.एस. व उसके सहयोगी संगठनों को सबसे ज्यादा यह बात चुभती है कि स्वतंत्रता आन्दोलन अर्थात देश की आजादी में उनकी भूमिका नगण्य रही है। यही कारण है कि आर.एस.एस. के इशारे पर चलकर केन्द्र की भाजपा सरकार स्वतन्त्रता व संविधान आदि व देश की अस्मिता से जुड़े देश के हर मुद्दे को राजनीतिक तौर पर भुनाने का प्रयास करती रहती है और इस प्रकार के इनके राजनीतिक व सरकारी कार्यक्रमों को सीधे तौर पर देशभक्ति से जोड़ दिया जाता है।
इस प्रकार भाजपा एण्ड कम्पनी द्वारा गौरक्षा के मामले में काफी ज्यादा किरकिरी व भारी फज़ीहत होने पर इस मामले को संविधान से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है जबकि संविधान और उसकी प्रस्तावना के मूल उद्देश्य मानव-सुरक्षा, मानव-हित व मानव-कल्याण को पूरी तरह से भुलाने का प्रयास जारी है।

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