भारत जब आपनी आजादी की 70वीं सालगिरह का जश्न मना रहा होगा और लोगों को अपने स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के प्रति जागरूकता का संदेश दिया जा रहा होगा, यही वह समय है जब एक जिम्मेदार नागरिक होने और आपने आसपास एवं अपने घर इमारतों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने की हम प्रतिज्ञा लें। एक अनुमान के अनुसार पूरे भारत में हर वर्ष 2,600 लोग (एक दिन में सात मौत) मकान ढहने से काल के गाल में समा जाते हैं। इस तरह के गंभीर परिणामों के बावजूद, अभी इस परिप्रेक्ष्य में अनदेखी की जा रही है। मकान के ढांचे घटिया वाॅटर प्रूफिंग प्रथाओं के कारण कमजोर बनते हैं तथा उनमें जल प्रवेश प्रतिरोधकता नहीं होती। शीर्ष वाॅटर पू्रफिंग विशेषज्ञ डाॅ. फिक्सइट ने इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लोगों को इस अनदेखी से जागरूक करने के लिए ‘फ्रीडम फ्राॅम लीकेज‘ अभियान चलाने का निर्णय किया गया है जिसमें लोगों को पानी के रिसाव होने वाले कुप्रभावों तथा इसे रोकने के लिए विभिन्न कदमों की जानकारी दी जाएगी।
पिडीलाइट इण्डस्ट्री के अध्यक्ष सेल्स एण्ड मार्केटिंग, कन्स्ट्रक्शन केमिकल्स श्री आशीष प्रसाद ने इस अवसर पर कहा ‘‘ हाल के कुछ दिनों के भीतर ऐसे भयावह संरचनात्मक हादसे हमारे सामने आए हैं, जिसके चलते कई लोगों को घायल होना पड़ा, भारी नुकसान हुए कई लोगों की जाने गई या आर्थिक क्षति हुई है। इनमें से कई हादसे इमारत के खतरनाक होने के छोटे से संकेतों के बावजूद उनकी अनदेखी करते रहना और मरम्मत टालने की आदतों के कारण हुए। इसके लिए इमारत की निरंतर समीक्षा की जानी चाहिए और हर कुछ साल बाद उन्हें दुरस्त करना चाहिए चाहे वह छोटी सी दरार ही क्यों न हो उसे समय पर भर देने से भवन संरचना की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है।‘‘
किसी भी भवन के लिए पानी का रिसाव भारी चिंता का कारण होता है और आमतौर पर इसे मानसून आने तक नजरअंदाज किया जाता है, और जब तक पानी टपकने की आवाज न केवल खिड़कियों से बल्कि बैडरूम, रसोई या लीविंग रूम सुनाई नहीं देती तब तक उसकी मरम्मत को टाला जाता है। हालांकि मानसून गर्मी की तपिश से राहत प्रदान करता हैं, लेकिन मकान मालिकों यह कहर भी बरपा सकता है। मकान मालिकों को मकान के विभिन्न हिस्सों से हो रहे पानी के रिसाव को रोकने की जुगत करनी पड़ती है चाहे वह बाथरूम हो या किचन, फर्श हो या फिर दीवारें यहां तक कि बरामदा सबका रख रखाव करना पड़ता है।