काठमांडो। नेपाल के शीर्ष माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड को आज नेपाली सांसदों ने दूसरी बार प्रधानमंत्री चुना और इसके साथ ही अब देश में राजनीतिक स्थिरता आने की उम्मीद है जिसकी बहुत जरूरत है क्योंकि नए संविधान को लेकर राजनीतिक स्तर पर बहुत विभाजन है।
प्रधानमंत्री पद के लिए सीपीएन-माओवादी सेंटर के प्रमुख प्रचंड एकमात्र उम्मीदवार थे, इसके बावजूद मतदान हुआ क्योंकि संविधान के मुताबिक प्रधानमंत्री को सदन में बहुमत साबित करना होता है। नेपाल की 595 सदस्यीय संसद में 61 वर्षीय प्रचंड को 363 मत हासिल हुए जबकि उनके खिलाफ 210 मत पड़े। 22 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
चुनाव से पहले प्रचंड ने सदन को संबोधित किया और कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय सहमति की भावना के साथ आगे बढ़ते हुए देश को आर्थिक विकास की ओर ले जाने का प्रयास करेंगे। इससे पहले वह 2008 से 2009 तक प्रधानमंत्री रहे थे। सेना प्रमुख को बर्खास्त करने के उनके प्रयास को लेकर सेना के साथ मतभेद पैदा होने के बाद उनके कार्यकाल का जल्द अंत हो गया था।
प्रचंड की सीपीएन-माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने कल मधेसी पार्टियों का समर्थन हासिल करने के मकसद से मधेसी फ्रंट के साथ तीन सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किया था। केपी ओली ने बीते 24 जुलाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद नेपाल में नया राजनीतिक संकट पैदा हो गया। ओली के इस्तीफे के बाद से प्रधानमंत्री का पद खाली पड़ा था।