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GST पर बनी सहमति, बिल राज्यसभा में पेश

नई दिल्ली। लंबे समय से लंबित पड़ा वस्तु और सेवाकर संशोधन विधेयक आज आखिरकार राज्यसभा में पेश किया गया। यह विधेयक 6 संशोधनों के साथ राज्यसभा में पेश किया गया। फिलहाल राज्यसभा में जीएसटी बिल पर चर्चा हो रही है। इस मौके पर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को देश के आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है कि इससे बड़ा बदलाव आएगा। यह अबतक सबसे कड़ा आर्थिक सुधार है क्योंकि इससे पूरे देश में एक समान कर लगेगा। जीएसटी पर ज्यादातर दलों में आम सहमति के बाद ही इसे राज्यसभा में पेश किया है। हमने विवाद निपटारे के लिए राज्यों को ज्यादा अधिकार दिए हैं।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आगे कहा कि जीएसटी बिल का सबसे बड़ा भाग यह होगा कि यह भारत को एक समान बाजार में बदल देगा। यह राज्यों को और सशक्त बनाएगा। इससे राज्यों के राजस्व के साथ-साथ केंद्र के राजस्व में भी वृद्धि होगी। साथ ही इससे यह सुनिश्चित होगा कि 'कर पर कोई कर नहीं' लगेगा। सरकार ने अतिरिक्त एक फीसद टैक्स लगाए जाने का अपने पहले का प्रस्ताव वापस ले लिया है।
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली के जीएसपी पर दिए गए भाषण का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि मैं साफ करना चाहता हूं कि कांग्रेस कभी भी जीएसटी के विरोध में नहीं थी। साथ ही उन्होंने जीएसटी की ऊपरी सीमा 18 फीसदी फिक्स करने की भी बात कही है। बता दें कि जीएसटी को पूर्व कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने सबसे पहले पेश किया था।
जीएसटी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहतर कदम बताए जाने के बावजूद कांग्रेस ने आज स्पष्ट किया कि वह इससे संबंधित कानून में कर की मानक दर 18 प्रतिशत से अधिक न रखे जाने की अपनी मांग पर कायम रहेगी। साथ ही पार्टी ने कहा कि जीएसटी संबंधित कानून में विवाद निस्तारण तंत्र का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।
राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आज जीएसटी से संबंधित संविधान (122 वां संशोधन) विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी जीएसटी विचार का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने साल 2011 से 2014 के बीच जीएसटी विधेयक को पारित कराने का प्रयास किया पर उस समय की मुख्य विपक्षी पार्टी का सहयोग न मिल पाने के कारण यह विधेयक पारित न हो सका।
उन्होंने कहा कि मौजूदा एनडीए सरकार ने भी 18 महीने तक बिना मुख्य विपक्षी दल के सहयोग के इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश की किन्तु वह भी विफल रही। अब सरकार ने पिछले पांच छह महीने से सबको साथ लेने का प्रयास किया है और उसके अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं।
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने आरोप लगाया कि मौजूदा विधेयक का मसौदा बहुत ही लचर है। उन्होंने कहा कि हर कर का यही मकसद होता है कि इससे प्राप्त होने वाला राजस्व केंद्र अथवा राज्यों की संचित निधि में जाए। उन्होंने कहा कि इस वर्तमान विधेयक में इसे लेकर अस्पष्टता है। उन्होंने कुछ राज्यों को एक प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाने का अधिकार देने संबंधी प्रावधान को हटा लेने के सरकार के फैसले का स्वागत किया।
वहीं इससे पहले कांग्रेस और सरकार के बीच जीएसटी बिल पर सहमति बनी। कांग्रेस की रणनीतिकारों की बैठक में जीएसटी को समर्थन देने का फैसला लिया गया है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने अरुण जेटली को समर्थन की जानकारी दे दी है। जीएसटी बिल पर गैर कांग्रेसी विपक्ष के साथ भी काफी हद तक सहमति बन गई है। लेफ्ट ने भी जीएसटी बिल का समर्थन करने का फैसला लिया है। राज्यसभा में पास होने के बाद इस बिल को दोबारा लोकसभा में भेजा जाएगा।
ये सहमति बनाने के लिए जीएसटी बिल में 5 बड़े बदलाव किए गए हैं, जिसके तहत 1 फीसदी इंटरस्टेट ट्रांजेक्शन टैक्स हटाया गया है। बदलाव के बाद अब राज्यों को 5 साल तक 100 फीसदी नुकसान की भरपाई की जाएगी पहले 3 साल तक 100 फीसदी, चौथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी भरपाई का प्रावधान था।
इसके अलावा केंद्र-राज्य के बीच विवादों के निपटारे की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। बिल की भाषा में कांग्रेस की मांग के मुताबिक बदलाव किया गया और राज्यों की एम्पावर्ड कमेटी में लिए गए फैसले के हिसाब से बदलाव किया गया है। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने जीएसटी का समर्थन करते हुए कहा है की बात अगर देश के हित की होती है तो बीएसपी हमेशा अपना समर्थन देती है। हम देश और जनहित को प्राथमिकता देते हैं। उधर जेडीयू के नेता शरद यादव भी जीएसटी के पक्ष में नजर आए। शरद यादव का कहना है की जीएसटी के मुद्दे पर जेडीयू हमेशा आगे रही है और जीएसटी बिल पास करवाने की पूरी कोशिश की जाएगी।

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