नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में आज बात उस खेल की जिसमें भारत का इतिहास सबसे ज्यादा गौरवशाली रहा है। जिस खेल ने 1-2 नहीं बल्कि टीम इंडिया को 8 ओलंपिक गोल्ड मेडल दिए हैं। हम बात कर रहे हैं हॉकी की। भारतीय हॉकी टीम रियो पहुंच चुकी है और फिलहाल खिलाड़ी वहां के माहौल में ढलने की कोशिश कर रहे हैं।
सवा अरब भारतीयों की उम्मीदों के साथ रियो पहुंची राष्ट्रीय खेल हॉकी की टीम का पहला दिन सैर-सपाटे में बिता। अपने नए आशियाने में पहुंचे खिलाड़ी मजाक मस्ती के मूड में नजर आए। असली मुकाबला शुरू होने से पहले पीआर श्रीजेश एंड कंपनी के पास खेलगांव घूमने का अच्छा मौका है। खिलाड़ी इस दौरान अलग-अलग खेलों के दिग्गजों से मिलने का भी प्लान बना चुके हैं।
मिलने-मिलाने के बाद बारी आएगी मुकाबले की, जहां भारतीय टीम 6 अगस्त यानी शनिवार से मैदान में उतरेगी। आयरलैंड के साथ मुकाबले से भारतीय टीम शुरुआत करेगी। उसके बाद 8 अगस्त को जर्मनी से टक्कर होगी। 9 अगस्त को अर्जेंटीना से भिड़ंत होगी। 11 अगस्त को टीम नीदरलैंड्स को चुनौती देगी
जबकि ग्रुप स्टेज का आखिरी मुकाबला 12 अगस्त को कनाडा से होगा।
रियो गई ये टीम पिछले 1 दशक की टीमों से बिल्कुल हटकर है। अलग-अलग सीरीज में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीम इंडिया का हालिया प्रदर्शन इस बात का गवाह भी है। 2014 एशियन गेम्स गोल्ड जीतकर भारत ने ओलंपिक टिकट लिया
उसके बाद इस साल जून में लंदन में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी में भारत सिल्वर मेडल जीता। भारत ने ओलंपिक चैंपियन जर्मनी को ड्रॉ पर रोका तो वही फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को भी कड़ी टक्कर दी। वर्ल्ड रैकिंग में भी भारतीय टीम 5वें नंबर पर है और करीब एक दशक बाद टॉप 5 में जगह बनाने में सफल हुई है।
इस टीम की एक और खासियत है अनुभव और युवा जोश का बेहतरीन तालमेल, जिसे टीम के बेहतर प्रदर्शन की एक बड़ी वजह भी माना जा रहा है। टीम के अहम सदस्यों में कप्तान पीआर श्रीजेश के अलावा वीआर रघुनाथ और सरदार सिंह 2003 से साथ खेलते आ रहे हैं। उसके बाद एसवी सुनील और दानिश मुज्तबा आए। ये पांचों 800 से भी ज्यादा मुकाबलों में भारतीय टीम के हिस्सा रहे हैं। ओलंपिक इतिहास में 8 गोल्ड समेत 11 मेडल जीत चुकी भारतीय हॉकी टीम पिछले 36 साल से एक अदद मेडल की तलाश में है। इसबार की तैयारियां और खिलाड़ियों का उत्साह देखकर एकबार फिर श्रीजेश और उनकी टीम से उम्मीद जगी है।