नई दिल्‍ली: सरकार ने विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने के लिए प्रस्‍तावित राष्‍ट्रीय वस्‍तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी बिल में अहम बदलाव किए हैं। राज्‍य सरकारों की मांग को देखते हुए कैबिनेट ने एक प्रतिशत अंतर-राज्‍यीय टैक्‍स को हटाने का फैसला किया है और राज्‍य सरकारों को अधिक शक्तियां प्रदान करते हुए एक स्‍वतंत्र निकाय का गठन करने का फैसला किया है जोकि राजस्‍व बंटवारे के मसले पर उत्‍पन्‍न होने वाले विवादों का निपटारा करेगा।
इसके साथ ही पांच साल तक राज्‍यों को होने वाले राजस्‍व की भरपाई भी की जाएगी। यह प्रस्‍तावित टैक्‍स 29 राज्‍यों में लागू करों और लेवी के जाल की जगह एक एकीकृत बाजार के रूप में तब्‍दील करने में सहायक होगा।
हालांकि सरकार को इस पर मोटे तौर पर व्‍यापक राजनीतिक समर्थन हासिल हो गया है लेकिन अभी भी करों की निश्चित दरों को लेकर मतभेद बरकरार हैं। सरकार अभी भी राज्‍यसभा में सबसे बड़े दल कांग्रेस का समर्थन हासिल करने में नाकाम रही है। दरअसल कांग्रेस करों की दरों की ऊपरी सीमा 18 प्रतिशत रखने की मांग करती रही है। हालांकि इस सीमा को कानून का हिस्‍सा नहीं बनाए जाने पर वह सहमत हो गई है।
इससे पहले मंगलवार को जीएसटी विधेयक पर केंद्र और राज्यों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात आगे बढ़ी थी और दोनों पक्षों में इस सिद्धांत पर सहमति बनी कि जीएसटी दर मौजूदा स्तर से कम रहनी चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली के आह्वान पर बुलाई गई राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति की बैठक में यह सहमति बनी।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के चेयरमैन और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा था कि इस बारे में व्यापक सहमति बनी कि साधारण व्यवसायी और आम करदाता को जीएसटी की शुरुआत से फायदा होना चाहिए और इसके लिए कर की दर कम रहनी चाहिए।