नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सउदी अरब दौरे के बाद भारत सरकार देश में इस्लामिक बैंकिंग को इजाजत देने का मन बना रही है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी इसे हरी झंडी देने का इशारा किया था। जानकारों का कहना है कि इस्लामिक बैंकिंग लागू होने से एक बड़ा तबका बैंकिग सिस्टम से जुड़ पाएगा। लेकिन, विश्व हिंदू परिषद ( वीएचपी) ने इस पर एतराज जताया है और कहा कि इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा।
इस्लामिक बैंकिंग यानी ऐसा बैंक जहां ना ग्राहकों से ब्याज लिया जाता है और ना ही ग्राहकों को ब्याज दिया जाता है। इस्लामिक बैंकिंग में ग्राहकों का पैसा ऐसी जगह निवेश किया जाता है, जिसे इस्लाम में हलाल माना गया है। देश में भी इस्लामिक बैंक खोलने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन बैंक खुलने से पहले ही विवाद शुरू हो गया है। विश्व हिंदू परिषद ने इस्लामिक बैंक को लेकर मोर्चा खोल दिया है। वीएचपी ने साफ कर दिया है कि अगर देश में इस्लामिक बैंक खोला गया तो इसका पुरजोर विरोध होगा। इतना ही नहीं संगठन के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन के मुताबिक इस्लामिक बैंकों से आतंक को बढ़ावा मिल सकता है।
दरअसल, भारत में बैंकों को मान्यता देने वाली आरबीआई ने दिसंबर 2015 में एक रिपोर्ट में इस्लामिक बैंकिंग या सूद रहित बैंकिग को इजाजत देने की सिफारिश की थी। फिर अप्रैल के महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साउदी अरब गए तो वहां भी इस पर चर्चा हुई। मोदी के करीबी जफर सरेशवाला जद्दा की इस्लामिक डवलेपमेंट बैंक और आरबीआई के बीच बातचीत कर इसकी शुरुआत गुजरात में करना चाहते हैं।
इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान भी इस्लामिक बैंक खोलने की कोशिश की गई थी।