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गोमती नदी के लिए बने एक विशेष थाना

(खालिद रहमान)

लखनऊ। जिस तरह से अलग अलग कामो के लिए पुलिस के अलग अलग सेल का गठन किया गया है जैसे रेलवे पुलिस यातायात , पुलिस , दमकल पुलिस के अलावा कई अन्य तरह के सेल आम जन मानस की सहूलियत के लिए बनाये गए है । अगर उसी तरह से एक थाना गोमती नदी की देख भाल के लिए बना दिया जाये तो शायद न सीमा विवाद का झंझट रहे न ही नदी के आस-पास अराजक तत्वों का जमावड़ा रहे और शायद नदी में कूद कर जान देने वाले लोगों की जानो को भी बचाया जा सके । गोमती नदी की निगरानी के लिए अगर एक थाने का गठन हो जाये तो उन थानों की जिम्मेदारी कुछ कम हो जाये जिन थानों की सीमा में गोमती नदी का कुछ हिस्सा आता है। जिस तरह से महिलाओ से सम्बंधित अपराधो के लिए महिला थाने का गठन किया गया है । अलग अलग कामो के लिए अलग अलग लोगों को जिम्मेदारिया दी गई है जो लोग निभा रहे है । शासन अगर चाहे तो एक थाने का गठन करके शहर की सीमा में आने वाली गोमती नदी की देख भाल के लिए एक थाने का गठन कर सकता है । उस थाने का काम अगर सिर्फ जिले की सीमा के अन्दर आने वाली नदी के आस-पास होने वाले अपराध या दुर्घटनाओ व गोमती नदी की स्वच्छता की निगरानी हो तो काफी सुधार आने की सम्भावना है । एक थाने के अंडर में कुछ चैकियों का गठन हो जाये जो शहर में नदी के मुख्य पुलों पर निगरानी करे । अगर ऐसा हो जाये तो नदी में अक्सर मिलने वाली लाशों को सीमा विवाद से छुटकारा मिल जाये और नदी में कूद कर जान देने वालों पर निगाह रख कर उनकी जानो को भी बचाया जा सकता है । यही नहीं अगर ऐसा हो जाये तो शायद नदी के आसपास सन्नाटे वाली जगहों पर घटित होने वाली घटनाओं में भी गिरावट आजाए । क्युकी नदी की देख भाल के लिए अगर थाना होगा तो उसका कार्य क्षेत्र नदी और उसका किनारा होगा । उस थाने के थानेदार के संपर्क में गोताखोर भी रहेंगे जो कभी भी किसी घटना या दुर्घना के बाद अक्सर तलाश किये जाते है । गोमती नदी के लिए अगर वाकई एक थाने का गठन हो जाये तो उन लोगों पर निगाह रखने में भी आसानी होगी जो गोमती नदी में गंदगी फैला कर पानी को दूषित करते है । अक्सर देखा जाता है की गोमती नदी को स्वच्छ रखने के लिए सामाजिक संस्थाए अभियान चलाती है । अगर नदी के आस-पास पुलिस की मौजूदगी रहेगी तो काफी कुछ बदलाव की सम्भावनाये प्रबल होंगी ही । कई बार ऐसा भी देखने को मिला है की नदी में कोई लाश बह कर आई हो और उस लाश के लिए विधिक कार्यवाही करने के लिए दो थानों की पुलिस सीमा विवाद में फंस जाती है । विवाद के चलते कई घंटो तक उस लाश को नदी से नहीं निकाला जाता है । अगर एक नदी के लिए एक थाना हो तो इस तरह की परेशानियों से भी निजात मिल सकती है । अगर गोमती नदी की देख भाल के लिए एक थाना होगा तो उसके कार्य क्षेत्र में आने वाली चैकियों के इंचार्ज पुलों पर मुस्तैद रह कर आने जाने वाले लोगों की निगरानी भी कर सकते है । फिर न कोई ये कहेगा की ये मेरा क्षेत्र नहीं है फिर न कोई ये कहेगा की घटना स्थल हमारे थाने में नहीं आता है । गोमती नदी में दुर्घना या घटना का शिकार होने वाले लोगों को कार्यवाही के लिए न इन्तिजार करना होगा न वो असंतुष्ट होंगे । अगर एक थाना ऐसा हो तो उन लोगों पर भी पैनी निगाह रक्खी जा सकती है जो नदी के किनारे बंधे पर अवैध रूप से झोपडी नुमा मकानों में रह रहे है। काश ऐसा हो काश ऐसा हो ।

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