लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के अवसर पर डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी चिकित्सालय (सिविल अस्पताल) प्रागंण स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी को देखने और सुनने का मुझे सौभाग्य मिला है। 1952 में जब मैं पुणे में बी0काम0 द्वितीय वर्ष का छात्र था तो भारतीय जनसंघ की महाराष्ट्र में स्थापना करने डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी वहाँ आये थे। उनमें अद्रभुत विद्वता थी, अंग्रेजी भाषा पर उन्हें प्रभुत्व हासिल था तथा उनकी भाषा शैली की विशेषता थी कि बड़ी सहजता से अपनी बात दूसरों तक पहुँचा सकते थे। 32 वर्ष की आयु में वे कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे।‘‘ उन्होंने कहा कि डाॅ0 श्यामा प्रसाद होनहार नेता थे जिनसे देश को बहुत अपेक्षायें थी।
श्री नाईक ने कहा कि वे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष थे। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमण्डल में महात्मा गांधी की सलाह पर कांग्रेस के बाहर से डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी व डाॅ0 बी0आर0 अम्बेडकर को सदस्य बनाया गया। उद्योग मंत्री के रूप में डाॅ0 मुखर्जी ने देश में औद्योगिक विकास की नींव डाली। वे देश के औद्योगिकीकरण के जनक थे। पाकिस्तान को लेकर वैचारिक मतभेद होने के कारण उन्होंने मंत्रिमण्डल से त्याग पत्र दे दिया तथा भारतीय जनसंघ की स्थापना की। लोकसभा में जनसंघ के मात्र तीन सदस्य होने के बावजूद भी विपक्ष के लोगों ने एकजुट होकर डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी को नेता विपक्ष के रूप में मान्यता दी। विपक्ष में रहते हुए वे संसदीय परम्पराओं का सम्मान करते थे तथा प्रतिरोध भी बड़ी शालीनता से करते थे। देश की स्वतंत्रता और संविधान की रक्षा के लिए उन्होंने बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा बोया गया बीज अब वट वृक्ष बन गया है।
इस अवसर पर श्रद्धांजलि देने वालों में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।