नई दिल्ली: राज्य सभा के हाल के चुनाव के बाद मोदी सरकार ऊपरी सदन में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी बिल को पास कराने की स्थिति में आ गई है। सरकार के रणनीतिकारों ने राज्य सभा की नई तस्वीर के हिसाब से गुणा-भाग कर लिया है। इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने जीएसटी के समर्थन का ऐलान किया है। लेफ्ट पार्टियों के जीएसटी को समर्थन के साथ ही कांग्रेस इस महत्वपूर्ण बिल पर अब पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गई है। अब सरकार की कोशिश जीएसटी को मॉनसून सत्र में पास कराने की है।
राज्य सभा की 58 सीटों के लिए 11 जून को चुनाव हुआ था। साथ ही सरकार ने अपनी ओर से सात सदस्यों को नामांकित भी किया। इसके बाद एनडीए राज्य सभा में सबसे बड़ा गठबंधन बन गया है। सबसे पहले आंकड़ों पर नजर डालते हैं। राज्य सभा की सदस्य संख्या 245 है। जीएसटी चूंकि संविधान संशोधन बिल है लिहाजा इसके लिए मतदान के वक्त आधे सदस्यों यानी 123 की उपस्थिति जरूरी है। जबकि बिल पारित कराने के लिए दो तिहाई यानी 164 सदस्यों का समर्थन चाहिए।
बीजेपी के पास अब 54 सांसद हैं। इनमें दो नामांकित सदस्य नवजोत सिंह सिद्धू और सुब्रहमण्यम स्वामी भी हैं जो पार्टी में शामिल हो गए। इसके अलावा तेलुगु देशम पार्टी के छह, शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना के 3-3, जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के दो सांसद एनडीए में हैं। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, बोडो पीपुल्स फ्रंट, नगा पीपुल्स फ्रंट और रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठवले) के एक-एक सांसद भी हैं। हरियाणा से निर्वाचित सुभाष चंद्रा के साथ चार निर्दलियों का समर्थन एनडीए को मिलेगा और पांच नामांकित सदस्यों का भी। इस तरह एनडीए का आंकड़ा 81 हो जाता है।
अब बात करते हैं उन विपक्षी दलों की जो जीएसटी के पक्ष में खुल कर सामने आ चुके हैं। राज्य सभा के हाल के चुनावों के बाद इन दलों के संख्या बल में भी परिवर्तन हुआ है। समाजवादी पार्टी के 19, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के 12, जनता दल यूनाइटेड के 10, बीजू जनता दल के 8, बहुजन समाज पार्टी के 6, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के 5, द्रविड मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के 4, राष्ट्रीय जनता दल के 3, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के 3, इंडियन नेशनल लोकदल, इंडियन मुसलिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस, जनता दल सेक्यूलर और वायएसआर के एक-एक सांसदों को मिला कर 76 सांसद बनते हैं। ये एक बड़ा ब्लॉक है जो जीएसटी पर सरकार को समर्थन देने को तैयार है।
इन क्षेत्रीय पार्टियों के जीएसटी का समर्थन करने के पीछे वजह बिल्कुल स्पष्ट है क्योंकि करों में हिस्सेदारी न सिर्फ बढ़ेगी बल्कि उसे लेकर स्पष्टता भी आएगी। खासतौर से उपभोक्ता राज्यों में जीएसटी के लिए अधिक समर्थन है।
अब लेफ्ट पार्टियां भी खुल कर जीएसटी के समर्थन में आ गई हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन और राज्य के वित्त मंत्री थॉमस इज़ाक ने जीएसटी का समर्थन किया है। सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने भी कहा है कि उनकी पार्टी कॉंग्रेस के साथ नहीं है। अगर सरकार सदन में ये भरोसा दे कि कर दरों को कम रखा जाएगा तो उनकी पार्टी जीएसटी का समर्थन करेगी। सरकार का रुख भी यही है। ऐसे में लेफ्ट पार्टियों के 9 यानी सीपीएम के 8 और सीपीआई के एक सदस्य का समर्थन भी सरकार को मिल गया है।
ऑल इंडिया डीएमके यानी एआईएडीएमके के 13 सांसद हैं। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने चौदह जून को दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और जीएसटी पर अपना विरोध दर्ज कराया था। सरकार एआईएडीएमके को साथ लेने के लिए कुछ संशोधनों पर विचार कर सकती है।
अब बात करें विरोध करने वाले दलों की। हाल के चुनाव में कांग्रेस को चार सीटों का नुकसान हुआ है और उसकी संख्या 64 से घट कर 60 रह गई है। कांग्रेस जीएसटी दरों को संविधान का हिस्सा बनाने की मांग पर अड़ी है। जबकि बीजेपी समेत सारी पार्टियां इस मांग से सहमत नहीं हैं। सरकार ने कॉंग्रेस की दो अन्य मांगों पर विचार का भरोसा दिया है जिसमें एक फीसदी का प्रवेश कर खत्म करे और विवाद निपटाने के लिए बनाई गई समिति को अधिक अधिकार देने की बात है।