लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि विगत वर्ष 21 जून, 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 21 जून को ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाये जाने की जो घोषणा की गई है, वह सभी देशवासियों के लिये गौरान्वित होने की बात है। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय जीवन दर्शन में निहित ‘योग’ को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। विश्व के कुल 193 देशों में से 160 देश अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस को 21 जून को मनाये जाने के प्रस्तावक थे और 177 देशों ने इसे समर्थन प्रदान किया था। इस वर्ष भी 21 जून, 2016 को ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में विश्व भर में मनाया जाना है। उन्होंने कहा कि योग के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए सरकारी संस्थानों, शिक्षण संस्थानों तथा स्वैच्छिक संगठनों आदि द्वारा योग पर सम्भाषण, प्रशिक्षण एवं नाटक आदि के माध्यम से जनमानस को अवगत कराते हुए इसे अपनाने के लिये प्रचार-प्रसार का कार्य सम्पन्न किया जाना उचित होगा।
श्री नाईक ने कहा कि योग शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने और विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति पाने की विधा है, जिसका अभ्यास करके व्यक्ति न केवल स्वस्थ रह सकता है अपितु यदि कोई रोग हो गया है तो उससे भी मुक्ति पा सकता है। योग का सीधा संबंध शारीरिक स्वास्थ्य से है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की हजारों वर्ष पुरानी योग की विभिन्न विधाओं से जनमानस लाभान्वित होता आ रहा है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में भी लगभग साढ़े तीन करोड़ लोग नियमित रूप से योग का अभ्यास कर रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा कि योगाभ्यास करना स्वैच्छिक है। उन्होंने योग दिवस के अवसर पर जनमानस से अपील की है कि वे आगामी 21 जून को मनाये जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संगठनों तथा शिक्षण संस्थाओं आदि द्वारा आयोजित किये जाने वाले योग के कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग लें और योग को अपने जीवन का आवश्यक अंग बनाकर स्वस्थ रहें। उन्होंने कहा है कि 21 जून को वे स्वयं लखनऊ विश्वविद्यालय तथा सिटी माण्टेसरी स्कूल, लखनऊ द्वारा आयोजित किये जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रमों में शाामिल होगें।