नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा राजनाथ सिंह को प्रचार समिति की कमान सौंपने की अटकलों के बीच गृह मंत्री की पहली प्रतिक्रिया आई है। सीएम बनने के सवाल पर राजनाथ टालमटोल करते दिखाई दिए। केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने खुद को यूपी के सीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने की अकटलों को सिरे खारिज कर दिया है। राजनाथ सिंह से जब पूछा गया कि क्या वो यूपी के सीएम पद के उम्मीदवार बनने जा रहे तो उन्होंने इसे काल्पनिक सवाल करार दिया है।
उन्होंने कहा कि यूपी में नेताओं की कमी नहीं है। ये एक काल्पनिक प्रश्न है। उन्होंने कहा कि हमारा पूरा सहयोग रहेगा। बता दें कि बताया जा रहा है कि बीजेपी यूपी के सीएम पद का उम्मीदवार जल्द ही घोषित कर सकती है और कहा जा रहा है कि जिस नेता का नाम बीजेपी तय करेगी वो मुलायम सिंह और मायावती के कद का नेता होगा। इसके बाद ही अटकलें लग रही हैं कि पार्टी यूपी में राजनाथ सिंह को उतार सकती है। हालांकि, चुनाव परिणामों पर उन्होंने पार्टी के बाकी नेताओं की तरह ही बयान दिया और कहा कि यूपी में बीजेपी की ही जीत होगी। दो वर्षों में जिस तरह काम हुआ है उसे देखकर अब लोग इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यूपी में भी बीजेपी को ही होना चाहिए। हमें स्पष्ट बहुमत मिलेगा।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इलाहाबाद में 12 और 13 जून को होगी। यूं तो हर बार की तरह इस बार भी पार्टी की ओर से दो प्रस्ताव इस बैठक में पारित किए जाएंगे। पहला देश की राजनीतिक हालात पर और दूसरा आर्थिक स्थिति पर लेकिन खास बात ये है कि पार्टी इस कार्यकारिणी के जरिए उत्तर प्रदेश चुनाव का बिगुल फूंक देगी। चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही पार्टी ने बैठक के लिए संगम नगरी का चुनाव किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता इलाहाबाद से उत्तर प्रदेश के लिए चुनावी बिगुल फूंक देंगे। 12 और 13 तारीख को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक यहां होगी। इलाहाबाद का चयन पार्टी ने खासतौर से उत्तर प्रदेश के लिए चुनावी संदेश देने के लिए किया है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने 13 तारीख को ही इलाहाबाद में बैठक के बाद बड़ी रैली का आयोजन करने की भी योजना बनाई है। जिसमें शाम करीब साढ़े पांच बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। सूत्रों की माने तो पार्टी उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी देने पर विचार कर रही है। हालांकि इसके बारे में बैठक में कोई औपचारिक चर्चा नहीं होगी लेकिन अक्टूबर-नवंबर तक इसकी घोषणा हो सकती है।
पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि मुलायम मायावती का सामना करने के लिए पार्टी को उन्हीं के कद का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए। पार्टी ने उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए विशेष नारा भी चुना है। ना अपराध ना भ्रष्टाचार अबकी बार भाजपा सरकार, इसी नारे के इर्द-गिर्द पार्टी अपनी चुनावी रणनीति तैयार कर रही है। पार्टी ने ये भी फैसला किया है कि राज्य में सपा-बसपा से मुकाबला रहेगा। लिहाजा इनके खिलाफ सूबे की छोटी छोटी पार्टियों से भी लोकसभा चुनाव की तर्ज पर समझौता किया जाएगा। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपना दल से समझौता किया और उसका फायदा भी मिला।
लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी अध्यक्ष अमित शाह यूपी प्रभारी थे और बीजेपी गठबंधन को 80 में से 73 सीट मिली थी। इस बार भी अमित शाह ने इस साल के अंत तक राज्य के सभी जिलों का दौरा करने और इस दौरान सक्रिय बूथ लेवल कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संवाद कायम करने की योजना बनाई है। पार्टी की योजना है कि इस बार किसी तरह से अपने पारंपरिक वोटों के साथ-साथ दूसरी पार्टियों के वोट-बैंक में भी सेंध लगाई जाए।