लखनऊ: ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने शरई कानूनों खासकर मुस्लिम महिलाओं से जुड़े मसलों को लेकर देश में बढ़ती गफलत के लिये जानकारी और समुचित पालन के अभाव को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि मुल्क की ज्यादातर महिलाएं शरीयत से पूरी तरह संतुष्ट हैं और इसका समुचित पालन नहीं होने से समस्याएं पैदा हो रहीं हैं।
बोर्ड के सदस्य और लखनऊ के शहरकाजी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इस्लामी शरीयत ऐसी नहीं है जो वक्त और हालात के हिसाब से बदली जाए। मुसलमान इसका सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिये समस्याएं पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि शरीयत में किसी भी तरह की तब्दीली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बोर्ड की महिला सदस्यों की जिम्मेदारी है कि इस्लामी शरीयत की सही बातें औरतों तक ले जाएं।
मौलाना रशीद ने कहा कि तीन तलाक का जो मामला उछाला जा रहा है, वह दरअसल महिलाओं को इस्लाम में दिये गये अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होने की वजह से उठ रहा है। इस्लाम ने महिलाओं को जितने अधिक अधिकार दिये हैं, उतने किसी और धर्म में नहीं मिले हैं। इस्लाम ने कई मामलों में तो औरतों को मर्दो से ज्यादा अधिकार दिये हैं।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों की 20 करोड़ आबादी में शामिल करीब 10 करोड़ महिलाओं में से 99 प्रतिशत महिलाएं मुस्लिम पर्सनल लॉ से खुश हैं। शरीयत किसी के साथ नाइंसाफी नहीं करती। इस्लाम में शादी एक अनुबंध है, जो दोनों पक्षों की मर्जी से होता है। तीन तलाक के सवाल पर मौलाना ने कहा कि एक वक्त में तीन तलाक देना गलत है और हम इसकी निन्दा करते हैं।
मालूम हो कि हाल के दिनों में तीन तलाक को लेकर कुछ अदालती फैसलों के बाद शरीयत में महिलाओं के अधिकारों को लेकर देश में नये सिरे से बहस शुरू हो गयी थी। ऑल इण्डिया मुस्लिम वुमेन पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि शरीयत कानून भारत में नहीं चल सकता। यह केवल इस्लामी मुल्कों में ही चल सकता है। ऐसे में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अहम सदस्य का यह बयान महत्वपूर्ण है।