बीजेपी पार्षद सहित 36 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी

अहमदाबाद। अहमदाबाद के 14 साल पुराने चर्चित गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कुल 23 लोगों को दोषी करार दिया है। इनमें से 11 को 302 के तहत दोषी ठहराया गया है। कोर्ट ने 36 लोगों को बरी कर दिया है। बरी होने वालों में बीजेपी पार्षद विपिन भी शामिल हैं।
कोर्ट ने कहा कि 34 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि साजिश के तहत ये घटनाक्रम नहीं हुआ था। 12 लोगों को कम सजा की धारा के तहत दोषी करार दिया गया। सजा का ऐलान 6 जून को होगा।
वहीं दंगे में मारे गए पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने कहा कि वह 34 लोगों को छोड़े जाने के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगी।
पीड़ितों के वकील एसएन वोहरा ने कहा कि हम फैसले से खुश हैं। अगर पीड़ित चाहेंगे तो हाई कोर्ट में जाएंगे। लेकिन मैं और मेरा पक्ष मृत्यूदंड के हक में नहीं है।
जाकिया जाफरी के बेटे तनवरी जाफरी ने कहा कि यह कोई आम दंगे फसाद का मामला नहीं था। मेरे पिता वहां इतने साल से रहते थे, ऐसा कभी नहीं हुआ। सबकुछ देखते हुए हमने जो FIR की उसमें कई नाम निकल दिए गए। क्या कारण है कि कोर्ट ने 36 लोगों को बरी कर दिया है यह हम अपने वकीलों के साथ बैठकर देखेंगे। 24 लोगो को सजा मिली है यह अच्छी बात है। विटनेस आखिर तक अपनी बात पर बने रहे यह बहुत बड़ी बात है।
2002 में साबरमती एक्सप्रेस में लगायी गई आग में 59 लोग मारे गए थे। जिसके बाद अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी में गुस्साई भीड़ ने 69 लोगों को जिन्दा जला दिया था। हमले में मारे गए लोगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी थे। इस हमले में पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी। मामले की जांच कर रही एसआईटी ने 73 लोगों को गिरफ्तार किया था। फैसले से पहले कोर्ट ने सभी आरोपियों को कोर्ट में हाजिर रहने के आदेश भी दिए हैं।
गुलबर्ग नरसंहार की जांच समय समय पर अलग-अलग एजेंसियां करती रहीं। लेकिन घटना के 7 साल बाद सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी गठित की गई। एसआईटी को गुजरात दंगों के 9 मामलों की जांच दी गई थी जिसमें से गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड एक है।
एसआईटी ने इस मामले की जांच करते हुए 73 लोगों को गिरफ्तार किया था इन 73 लोगों पर साजिश के तहत हत्या करने का मामला दर्ज किया गया था। अब तक 73 लोगों में 4 की मौत हो चुकी है जबकि कुछ लोग हमले के वक्त नाबालिग थे। अगर ऐसे लोगों को हटा दिया जाए तो 60 आरोपियों पर फैसला आना है। कुल आरोपियों में से 9 आरोपी पिछले 14 साल से सलाखों के पीछे हैं जबकि बाकी जमानत पर रिहा हैं।
इस मामले में अबतक 73 आरोपियों पर अलग-अलग समय पर 11 चार्जशीट दायर की गई है, जबकि मुकदमे की सुनवाई के दौरान 338 गवाहों ने गवाही दी है। कोर्ट ने पिछले साल ही इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते फैसला सुनाया नहीं जा सका। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी महीने में इस मामले पर फैसले पर लगाई रोक हटा ली थी।