नई दिल्ली। दिल्ली में MCD की 13 सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 5 (तेहखंड,मटियाला,विकासनगर, बल्लीमारान, नानकपुरा), कांग्रेस को 4 (झिलमिल, खिचड़ीपुर, कमरुद्दीन, मुनिरिका) और बीजेपी को 3 (नवादा, शालीमार बाग,वजीरपुर) सीटें मिली हैं, जबकि भाटी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीता है।
नतीजों से साफ है कि कांग्रेस ने दिल्ली की राजनीति में वापसी की है, वहीं आम आदमी पार्टी उम्मीदों के मुताबिक तो नहीं लेकिन सम्मानजनक स्थिति हासिल करने में सफलता प्राप्त की है। जाहिर है इस चुनाव में सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही थी, लेकिन कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया है। आइए जानते हैं
दिल्ली में राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस के लिए यह चुनाव परिणाम काफी राहत लेकर आई है। पिछले कुछ समय से जिस तरह कांग्रेस मुक्त भारत की बात हो रही है, ऐसे में कांग्रेस का प्रदर्शन न सिर्फ 2017 में होने वाले निगम चुनावों के लिए काफी अहम माना जा रहा है बल्कि आने वाले कई विधानसभा चुनावों और राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी साकारात्मक संदेश देने में कामयाब होगी।
उपचुनाव में कांग्रेस का यह प्रदर्शन से पार्टी के लिए एनर्जी ड्रिंक से कम नहीं। विधानसभा चुनाव में में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। कांग्रेस का यह प्रदर्शन पार्टी के उपर उठ रहे सवालों का जबाव भी है। कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन से साबित कर दिया है कि पार्टी में अभी भी दम बाकी है।
उपचुनाव के नतीजों को अगले साल होने वाले एमसीडी चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। आप 13 में से 8 सीटों पर जीत की उम्मीदों से मैदान में उतरी थी और विधानसभा का अपना प्रदर्शन यहां भी दोहराना चाहती थी, लेकिन पार्टी का प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। आम आदमी पार्टी की सरकार के एक साल के ज्यादा के कार्यकाल पर जनता का मूड क्या है, इस जनादेश से साफ हो गया है। नगर निगम को लेकर केंद्र सरकार के साथ लगातार टकराव भी आप की हार के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
इन नतीजों से साफ हो गया है कि कि आम आदमी पार्टी के लिए अभी भी दिल्ली की राजनीति में काफी कुछ है। वजीरपुर सीट पर कभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी रहे और अब मुखर विरोधी योगेंद्र यादव ने भी आप के खिलाफ प्रचार किया था और इस सीट का नुकसान भी पार्टी को झेलना पड़ा है।
अभी राजधानी के तीनों नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा है और यह जनादेश बीजेपी के लिए भी एक संदेश है। 10 साल से लगातार एमसीडी पर राज करने वाली बीजेपी के लिए 2017 में होने वाली निगम चुनावों में तीनों निगमों पर कब्जा बरकरार रखना आसान नहीं रहने वाला है। चुनाव परिणाम से साफ है कि मोदी का करिश्मा दिल्ली में बहुत ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाया है। इस चुनाव में आप नेताओं ने एमसीडी में फैले भ्रष्टाचार को निशाना बनाया था और इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। इस चुनाव परिणाम से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय का भविष्य पर भी सवाल उठने लाजिमी है।