लखनऊ: यूपी का एक एनजीओ सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को मानहानि का नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है l दरअसल इस एनजीओ ने यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने और यूपी में आरटीआई के मार्ग की सबसे बड़ी वाधा का पता लगाने के लिए बीते 23 अप्रैल को राजधानी में एक सर्वे कराया था l एनजीओ ने बीते 30 अप्रैल को लखनऊ में एक प्रेस वार्ता करके सर्वे के परिणाम जारी किये थे l एनजीओ के पदाधिकारियों ने मुख्य सूचना आयुक्त से बीते 5 मई को भेंट करके सर्वे के परिणामों को उनको सौंपते हुए इन पर कार्यवाही करने की माँग भी की थी l इसके बाद मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने बीते 9 मई को मीडिया के माध्यम से इस एनजीओ की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए संस्था के द्वारा कराये गए सर्वे के परिणामों पर कोई भी कार्यवाही नहीं करने का वक्तव्य दिया था l उस्मानी के इस वक्तव्य को संस्था के लिए मानहानिकारक बताकर एनजीओ अब उस्मानी को मानहानि का नोटिस देने की तैयारी कर रहा है l एनजीओ ने उस्मानी पर लोकसेवक के दायित्वों का सम्यक निर्वहन न करने का भी आरोप लगाया है l
दरअसल यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने और यूपी में आरटीआई के मार्ग की सबसे बड़ी वाधा का पता लगाने के लिए सामाजिक संस्था ‘येश्वर्याज सेवा संस्थान’ की ओर से एक सर्वे कराया गया था। खराब सूचना आयुक्तों के सर्वे में अरविंद सिंह बिष्ट (17 फीसदी वोट) पहले , जावेद उस्मानी (13.8 फीसदी वोट) दूसरे ,गजेंद्र यादव (11.6 फीसदी वोट) तीसरे ,हाफिज उस्मान (9.4 फीसदी वोट) चौथे ,स्वदेश कुमार (9.1 फीसदी वोट) पांचवें ,पारसनाथ गुप्ता (8.4 फीसदी वोट) छठे ,खदीजतुल कुबरा (8.1 फीसदी वोट) सातवें , राजकेश्वर सिंह (7.9 फीसदी वोट) आठवें और हैदर अब्बास रिजवी (7.2 फीसदी वोट),विजय शंकर शर्मा (7.2 फीसदी वोट) नौवें स्थान पर रहे l
संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि उस्मानी द्वारा मीडिया को दिए एक इंटरव्यू से उनके संज्ञान में आया है कि मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी का कहना है “सर्वे कराने वाली संस्था कोई सर्टिफाइड सर्वेयर संस्था नहीं है। इसकी कोई क्रेडिबिलिटी नहीं है। इसके नतीजों पर हम कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।” उर्वशी ने बताया कि उस्मानी का कहना है, ‘इस तरह कोई भी आदमी आए और कहे कि हमने सर्वे कराया है। फिर कहे कि इस पर कार्रवाई करें। इसका कोई औचित्य नहीं है।’ उर्वशी ने बताया कि उनको पता चला है कि यह पूछे जाने पर यदि इस सर्वे के नतीजों पर आयोग अपना कोई पक्ष नहीं रखता है तो यह माना जाएगा कि सर्वे के नतीजे सही हैं। इस पर जावेद उस्मानी ने कहा कि पक्ष तब रखा जाता है, जब इसकी कोई विश्वसनीयता हो।
उर्वशी ने बताया कि उनको पता चला है कि यह पूछे जाने पर कि फिर यदि सर्वे सही नहीं है तो क्या आयोग संस्था पर कोई कार्रवाई करेगा ? मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि क्या उन्होंने कोई अवैध काम किया है ? कोई जुर्म किया है? हम उन्हें इग्नोर करेंगे।
उर्वशी ने उस्मानी के इन वक्तव्यों को संस्था के लिए मानहानिकारक बताकर उस्मानी को अधिवक्ता के मार्फत मानहानि का नोटिस देने की बात कही है l उर्वशी ने उस्मानी पर लोकसेवक के दायित्वों का सम्यक निर्वहन न करने का भी आरोप लगाया है l
उर्वशी के मुताबिक उनका एनजीओ राज्य सरकार से पंजीकृत संस्था है और लोकसेवक होते हुए भी उस्मानी ने उनकी संस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर संस्था की मानहानि करने के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा स्थापित व्यवस्था का भी अवमान किया है lउर्वशी के अनुसार विधि द्वारा स्थापित उनके सामाजिक संगठन को उस्मानी जब तक भंग नहीं करा देते तब तक वह इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकते l
बकौल उर्वशी उनके सर्वे का परिणाम जनता का आदेश है और इसको न मानने की सार्वजनिक घोषणा करके उस्मानी ने एक लोकसेवक के दायित्वों का सम्यक निर्वहन न करने का अपराध भी किया है जिसके लिए उनके खिलाफ अलग से कानूनी कार्यवाही कराई जायेगी l
उर्वशी ने उस्मानी द्वारा एशिया का नोबेल माने जाने वाले मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवी डा० संदीप पाण्डेय द्वारा येश्वर्याज के सर्वे में व्यक्त राय को भी हलके में लेने की बात को उस्मानी का ब्यूरोक्रेटिक माइंडसेट के साथ दर्शाया गया मानसिक दिवालियापन करार दिया है l