केजरीवाल-प्रशांत,योगेन्द्र गुट में बंटी पार्टी 

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के लोकपाल एडमिरल रामदास के खत से पार्टी में दरार पर मुहर लग गई है। उन्होंने कहा, टॉप लीडरशिप में संवाद खत्म-सा हो गया है। वहीं  ‘आप’ नेता दिलीप पांडे ने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पर केजरीवाल के खिलाफ षडयंत्र करने की शिकायत की।

गौरतलब है कि दिल्ली में भारी बहुमत से सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी के अंदर घमासान मच गया। पार्टी दो गुटों में बंट गई है। एक तरफ केजरीवाल का गुट है और दूसरी तरफ प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव हैं, हालांकि सभी नेता कैमरे पर गुटबाज़ी से इनकार कर रहे हैं, लेकिन मीडिया में लीक हुईं दोनों गुटों की चिट्ठियों से साफ है कि आप पार्टी में सब कुछ सही नहीं है।

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के प्रदेश सचिव दिलीप पांडे ने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की लिखित शिकायत की है। दिलीप पांडे ने दोनों पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ साज़िश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने पार्टी की अनुशासनात्मक समिति से यह शिकायत की है। दिलीप पांडे ने दावा किया है कि शिकायत के पक्ष में उनके पास सबूत भी हैं। उन्होंने यह शिकायत 27 फरवरी को की। इससे पहले लोकपाल एडमिरल रामदास ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी को खत लिखकर कहा था कि शीर्ष नेतृत्व के बीच संवाद ख़त्म-सा हो गया है और पार्टी दो गुटों में बंट गई है।

रामदास ने पार्टी से कहा कि वह ‘एक व्यक्ति, एक पद’ व्यवस्था पर विचार करे। उन्होंने यह साफ करने पर अधिक जोर दिया कि क्या केजरीवाल दो पद (दिल्ली के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय संयोजक) संभाल सकते हैं।

वहीं वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने रामदास की बात का एक तरह से समर्थन करते हुए कहा कि लोकपाल राष्ट्रीय कार्यकारिणी से ऊपर है और उनकी बात पार्टी के लिए मानना ज़रूरी है।

हालांकि इस बीच पार्टी के ही एक अन्य वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि ‘जो लोग अरविंद केजरीवाल को संयोजक पद से हटाना चाहते हैं, क्या उन्हें देश के कार्यकर्ताओं की भावना का ख्याल है?’

‘आप’ की जिस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी में बवाल खड़ा हो गया है, आखिर वह कहां हुई, कैसे हुई और और उसमें क्या मुद्दे हावी रहे?

पारदर्शिता की बात करने वाली आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बेहद गुप्त रूप से 26 फरवरी को बुलाई। एक तरफ मीडिया में रेल बजट की खबरें छाई हुई थीं तो दूसरी तरफ गुप्त रूप से आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही थी। मीडिया को ना खुद जानकारी दी गई, बल्कि मांगने पर नहीं बताया कि बैठक कब और कहां है?

खैर, मीडिया को पता चल गया ही गया कि बैठक दिल्ली हरियाणा बार्डर के कापसहेड़ा में एक प्राइवेट रिसॉर्ट में रखी गई, लेकिन कोई फायदा नहीं क्योंकि वहां पर मीडिया के कवर करने पर पाबंदी ये कहकर लगाई गई कि प्राइवेट मीटिंग चल रही है। इससे ये शक तो पहले ही हो गया था कि मीटिंग में कुछ ऐसा होने की संभावना है, जो पार्टी नहीं चाहती कि मीडिया में आए।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुल 21 में से 19 सदस्य पहले दिन बैठक में मौजूद रहे। केवल राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बैठक में शामिल नहीं हुए।

केजरीवाल कैंप के योगेंद्र यादव और कैंप पर आरोप कुछ इस तरह रहे-

1. जनवरी 2014 में जब केजरीवाल सीएम थे तब योगेंद्र यादव ने अपना सचिवालय बनाने की कोशिश यह कहकर की कि वो अब राष्ट्रीय संयोजक बनने जा रहे हैं

2. मई 2014 मे शांति भूषण ने केजरीवाल को चिठ्ठी लिखकर कहा कि आप इस पद के योग्य नहीं है इसलिए आप इस्तीफा दें और योगेंद्र यादव को संयोजक बनाएं वर्ना मैं जनता और मीडिया में जाकर तुमको एक्सपोज़ कर दूंगा।

3. जून 2014 में जब ये अटकल चल रही थी कि दिल्ली में बीजेपी सरकार बना सकती है तब पार्टी की एक पॉलिसी मीटिंग के दौरान शांति भूषण बिना न्योते के बैठक में आए और प्रस्ताव रखा कि सरकार बीजेपी बना रही है और केजरीवाल नेता विपक्ष बनेंगे इसलिए पार्टी में एक व्यक्ति एक पद की नीति के तहत योगेंद्र यादव को राष्ट्रीय संयोजक बना देना चाहिए। इस बैठक में योगेंद्र यादव मौजूद थे।

4. जून 2014 में ही आशीष खेतान के प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बनाने की कोशिश तो हम केजरीवील को पार्टी से निकाल देंगे।

5. अगस्त 2014 ने चंडीगढ़ में पत्रकारों को बुलाकर ये खबर प्लांट कराई जिसमें बताया कि कैसे पार्टी तो हरियाणा में चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन केजरीवाल ने तानाशाही तरीके से निर्णय लिया कि दिल्ली से पहले कोई चुनाव पार्टी नहीं लड़ेगी और सारे संसाधन और पैसा दिल्ली चुनाव में लगा डाले।

6. जनवरी 2015 में जब दिल्ली चुनाव चल रहे थे अखबारों में 12 आपत्तिजनक उम्मीदवारों पर दस्तावेज के साथ खबर छपवाई। खबर इस तरह से प्लांट कराई, जिससे केजरीवाल की छवि तानाशाह की बने।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्यों ने शिकायत पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता को भेज दी। पार्टी की अनुशासनात्मक समिति शिकायत की जांच करेगी। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि शिकायत को पुख्ता करने के लिए केजरीवाल समर्थक सदस्यों ने ऑडियो रिकॉर्डिंग, ई-मेल और मीडिया क्लिपिंग के रूप में सबूत दिए हैं।

बताया जाता है कि ये देखते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन योगेंद्र और प्रशांत को दूर रखा गया और 21 में से 16 सदस्य योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी से वापस बुलाने पर सहमत हुए।

कुल मिलाकर केजरीवाल समर्थक गुट ये मानता है कि योगेंद्र यादव ने प्रशांत और शांति भूषण के जरिये षडयंत्र करके केजरीवाल को हटाकर राष्ट्रीय संयोजक बनने की कोशिश की।