लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने नरेंद्र मोदी सरकार के पहले आम बजट को जनविरोधी और कारपोरेट के हित में बताया है। बजट महंगाई बढ़ाने वाला है।

राज्य सचिव रामजी राय ने कहा कि वित्त मंत्री जेटली ने बजट में सेवा कर जैसे अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि के जरिये आम आदमी पर महंगाई की मार बढ़ा दी है। सामाजिक क्षेत्र (एनआरएचएम, मघ्याह्न भोजन योजना आदि) के खर्चों में कटौती कर और तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बड़ी गिरावट के बावजूद आम लोगों को रियायत न देकर जनविरोधी काम किया है। वहीं बजट में प्रत्यक्ष करों को घटा कर, संपत्ति कर को हटाने और कारपोरेट टैक्स को अगले चार सालों में घटा कर 25 प्रतिशत तक लाने का वादा कर पूंजीपतियों को खूब रियायतें दी हैं। यह ‘जनता की लूट और कारपोरेट को छूट’ वाला बजट है। बजट में काला धनियों को दंडित करने की बड़ी-बड़ी बातें तो की हैं, पर कर चोरी के रास्तों को खुला छोड़ रखा है।

माले राज्य सचिव ने प्रत्यक्ष करों में दी गई छूट, अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी, सामाजिक क्षेत्र के खर्चों में कटौती आदि प्रस्तावों को वापस लेने की मांग की है। साथ ही काला धन पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए जीएआरआर (जनरल एंटी-एवायेडेंस रुल) तत्काल प्रभाव से लागू करने की जरुरत पर बल दिया है।