लाल फीताशाही प्रदेश के विकास की दिशा में सबसे बडी बाधा: प्रो0 अरविन्द मोहन 

’ उभरती बाजार अर्थव्यवस्था और प्रबन्धकीय चुनौतियाॅं ’ लखनऊ यूनिवर्सिटी में सेमीनार  

लखनऊ । प्रबन्धन विज्ञान संस्थान, लखनऊ यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ’ उभरती बाजार अर्थव्यवस्था और प्रबन्धकीय चुनौतियाॅं ’ (इमरजिंग मार्केट इकोनॅामी एण्ड मैनेजिरियल चैलेन्जेज) का उद्घाटन उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव आलोक रंजन, टाटा कन्सलटेन्सी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जयन्त कृष्णा, लखनऊ विष्वविद्यालय  के कुलपति डा0 एस0 बी0 निमसे, प्रबन्ध विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो0 अरविन्द मोहन, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक मोनिश कुमार एवं आयोजन सचिव डा0 अनूप कुमार सिंह द्वारा मॅंा सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन एंव पुष्पार्चन कर किया गया।

उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि वैश्वीकरण ने असीम संभावनाओं को जन्म दिया है। अवस्थापना व्यवस्था को बढाना और विकास सरकार का फोकस है। लखनऊ में मेट्रो का कार्य शुरू हो गया है। दो वर्षो में आठ किलोमीटर का प्रथम चरण पूर्णतया संचालित कर दिया जायेगा। वाराणसी, कानपुर, मेरठ में भी मेट्रो की परियोजना शुरू की जायेगी। नोएडा, गे्रटर नोएडा को दिल्ली मेट्रो से जोडा जा रहा है। गाजियाबाद में मेट्रो का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। आगरा एक्सप्रेस वे पर कार्य तेजी से शुरू हो रहा है जिस दिन तैयार होगा उस समय दिल्ली से लखनऊ का रास्ता मात्र छः घण्टे का होगा। बिजली क्षेत्र की समस्या से निपटने के लिये बजट में आबंटन बढाकर 28 हजार करोड से अधिक कर दिया गया है। यदि कोई भी 500 करोड से ज्यादा विनियोग करना चाहता है तो सरकार उससे वार्ता करने व उसके अनुसार नीतियों में बदलाव करने को तैयार है। मुख्य व्याख्यान का संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि प्रो0 अरविन्द मोहन द्वारा जिन समस्याओं की ओर इशारा किया गया है, सरकार उन पर कार्य कर रही है और आष्वासन दिया कि सरकार अपनी पूरी क्षमता से प्रदेश को इन समस्याओं से समाधान दिलाएगी। जो टेक्नीकल शिफ्ट की बात की गयी है, जहॅंा दुनिया की आर्थिक शक्ति विकसित देशों से खिसककर भारत और चीन की तरफ आ रही है। यह प्रक्रिया और आगे बढेगी और भारत के अन्दर आर्थिक शक्ति खिसककर उत्तर प्रदेश की तरफ आयेगी। प्रदेश सरकार इस दिशा में कार्यरत है। 

मुख्य वक्ता प्रो0 अरविन्द मोहन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 1996 में  0.4 ट्रिलियन डालर था जो 2010 में बढकर 1.3 ट्रिलियन डालर हो गया। बिजल का उत्पादन 83 हजार मेगावाट से बढकर 1 लाख 50 हजार मेगावाट हो गया। बाजार पूंजीकरण  इक्कतीस बिलियन डालर से बढ करके 1628 बिलियन डालर हो गया। स्पष्ट रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था एक बहुत तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरी है। लेकिन 2010 से पॅालिसी पैरालिसिस के कारण अर्थव्यवस्था में दीमक सा लग गया है। ग्रोथ रेट घट गयी है, निवेश लगातार घटता जा रहा है और स्पष्ट रूप से दिख रहा है जैसे-जैसे पॅालिसी अनिष्चितता बढी है  उसी अनुपात में बिजनेस कॅान्फिडेन्स और निवेष घटा है। उत्तर प्रदेश के बारे में उन्होनें बताया कि 100 सीईओ तथा निवेशकों के सर्वे से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में औद्योगीकरण और निवेश वातावरण के लिए बिजली पहली सबसे बडी समस्या है। करप्शन और रेगुलेशन दूसरी, क्राइम थेफट व डिसअॅार्डर तीसरी, एण्टी कम्पटेटिव व इनफॅारमल पैक्ट्रिसेस चौथी, टैक्स रेट व टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन पंाचवी सबसे बडी समस्या है। साथ ही उत्तर प्रदेश में ज्यादातर आर्थिक कार्यों मंे कीमत दूसरे प्रदेशों से कम है। लेकिन दूसरे प्रदेशों की तुलना में समय कई गुना ज्यादा लगता है जो कहीं न कहीं अकर्मण्यता और लाल फीताशाही की तरफ इशारा करता है। जो प्रदेश के विकास की दिशा में सबसे बडी बाधा है। इसी के साथ इन्स्पेक्टर राज भी एक समस्या बना हुआ है। 

लखनऊ विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0 बी0 निमसे ने कहा कि वित्तीय और आर्थिक कार्य योजनायें वैष्विक हो गयी हैं। भारत कृषि आधारित देश होने से बाजार अर्थव्यवस्था का परिदृश्य  भी बदला हुआ है। सहकारी मूवमेण्ट, माल कल्चर, कॅारपोरेट फॅार्मिंग अपना स्थान बना रही है। यह सभी बदलाव हमारी शिक्षा में सम्मिलित किये जाने चाहिए। हमारा प्रयास है विष्वविद्यालय में ऐसा वातावरण प्रदान करने कि जिससे शोध और प्रशिक्षण की नई प्रविधियों का समावेश हो। मेक इन इण्डिया, डिजिटल इण्डिया और सरकारी प्रयासों के लिए ऐसे युवा तैयार हो जो इन योजनाओं को अमलीजामा पहना सके।

टाटा कन्सलटेन्सी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जयन्त कृष्णा ने कहा कि विनियोग के वातावरण में मुख्य बाधाएं भ्रष्टाचार, कर की दरें, प्रबन्धन, ऊर्जा प्रबन्धन और अकुशल श्रमिकों की है। कार्य कुशलता के प्रशिक्षण की ज़रुरत है। कुशल श्रम ही सभी चुनौतियों का समाधान है। सरकार कुशल श्रमिकों को प्रोत्साहित कर विनियोग के वातावरण को सुधार सकती है। युवाओं में असीम ऊर्जा है। आवष्यकता है इस युवा ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने की।

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक मुनीश कुमार ने कहा कि सेवा क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े आधारभूत संरचना को तकनीकि एंव नई प्रवत्तियों से लैस करने की ज़रुरत हैं। ग्रामीण संरचना को मजबूत कर ही भारत अपनी अधिकतम मानव संसाधन का उपयोग कर सकता है। गरीबी दूर करने के लिए कृषि आधारित उद्योगों की महती ज़रुरत है। 

उद्घाटन सत्र में लखनऊ विष्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य डा0 अनिल कुमार सिंह, वाणिज्य संकाय के पूर्व अध्यक्ष ए चटर्जी, व्यवहारिक अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो0 मधुरिमा लाल, मुख्य कार्य अधीक्षक प्रो0 राजकुमार सिंह, प्रो0 बी0 के0 निगम, नौकरी महाकुम्भ के विनायक नाथ, पूर्व प्रति कुलपति प्रो0 राधेष्याम यादव, आई0टी0सी0 के प्रमुख हितेश जैन, व्यापार प्रशासन विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 संजय मेधावी, डा0 मीता घोष, डा0 विमल जयसवाल, डा0 वीरेन्द्र गोस्वामी, डा0 अवधेश कुमार, डा0 राममिलन यादव, डा0 रितु नारंग, डा0 मोहम्मद अनीस, डा0 अर्चना सिंह, डा0 स्मिता सिंह, डा0 वसुधा, डा0 नाजिया जमाल, डा0 आस्था, डा0 संजीव, डा0 सुमन, डा0 श्रुति, डा0 सोनी हर्ष, डा0 अर्चना सिंह एवं डा0 हरनाम सिंह सहित देश भर से पधारे शिक्षाविद्, नीति निर्माता, शोध छात्र, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि सहित विष्वविद्यालय के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

आयोजन सचिव डा0 अनूप कुमार सिंह ने बताया कि आज के विभिन्न तकनीकि सत्रों में 75 शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। कल समापन सत्र एक बजे से होगा।