नई दिल्ली। मोदी सरकार के पहले आम बजट में टैक्स छूट की सीमा बढ़ने की उम्मीद कर रहे मिडिल क्लास को बड़ा झटका लगा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स स्लेब में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है। वहीं कॉरपोरेट टैक्स में भारी छूट देकर जैसे जेटली ने मध्यम वर्ग के जले पर नमक छिड़क दिया है।

‘अच्छे दिन’ के पहले आम बजट में देश का आम कर दाता आयकर में छूट की आस लगाए बैठा था। कर दाताओं को उम्मीद थी कि जेटली 2.5 लाख की टैक्स छूट की सीमा को कम से कम 3 लाख तो कर ही सकते हैं लेकिन इनकी उम्मीदें तब धरी की धरी रह गईं जब वित्त मंत्री ने टैक्स स्लेब के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ से इनकार कर दिया।

आम कर दाताओं को जहां जेटली ने कोई राहत नहीं दी वहीं उन्होंने कॉरपोरेट पर पूरी दरियादिली दिखाई। जेटली ने कहा कि हमारे यहां कॉरपोरेट टैक्स 30 फीसदी है जो कि दूसरे देशों की तुलना में काफी ज्यादा है। इसमें कमी की जरूरत है। जेटली ने घोषणा की कि अगले चार साल के लिए कॉरपोरेट टैक्स 30 की बजाय 25 फीसदी लगेगा। जेटली ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में चरणबद्ध तरीके से कटौती की जाएगी।

बजट में आयकर अधिनियम 1961, संपत्ति कर 1957, उत्पाद शुल्क कानून, सीमा शुल्क, वित्त अधिनियम 1994 एवं वित्त अधिनियम 2004 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। एक करोड़ से अधिक की आय वाले व्याक्तियों, अविभाजित हिंदू परिवारों, एओपी, बीओआई, फर्मों, कॉआपेरिटव सोसाइटियों और स्थानीय प्राधिकरणों पर 12 प्रतिशत अधिकर का प्रस्ताव किया गया है। एक करोड़ से 10 करोड़ तक की आय वाली घरेलू कंपनियों पर 7 प्रतिशत और 10 करोड़ से अधिक आय वाली कंपनियों पर 12 प्रतिशत सरचार्ज का प्रस्ताव किया गया है। एक करोड़ से अधिक और 10 करोड़ तक की आय वाली विदेशी कंपनियों पर सरचार्ज 2 प्रतिशत जारी रहेगा और 10 करोड़ से अधिक आय वाली कंपनियों पर 5 प्रतिशत सरचार्ज का प्रस्ताव किया गया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में विभिन्न कर रियायतों एवं प्रोत्साहनों को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव किया, ताकि कर विवादों में कमी आ सके और कर प्रशासन बेहतर हो सके। उन्होंने कहा कि बचत को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के मामले में इसे 20,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है।

बजट में यह भी प्रस्ताव है कि अत्यंत वरिष्ठ नागरिक के मामले में निर्दिष्ट बीमारियों के कारण होने वाले खर्चों पर कटौती की सीमा 60,000 रुपये से बढ़ाकर 80,000 रुपये कर दी जाए। बजट में एक प्रस्ताव यह भी कि आश्रित विकलांग व्यक्ति के चिकित्सा उपचार सहित देखभाल के संबंध में कटौती की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दी जाए। इसके साथ ही गंभीर विकलांगता की दशा में कटौती की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये करने का प्रस्ताव बजट में किया गया है।

बजट में एक प्रस्ताव यह है कि ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ में किए जाने वाले निवेश पर धारा 80सी के तहत रियायत मिलेगी तथा इस योजना के तहत किए जाने वाले किसी भी भुगतान पर कर नहीं लगेगा। बजट में एक प्रस्ताव यह है कि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी द्वारा किए जाने वाले अंशदान के कारण कटौती की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये कर दी जाए। नई पेंशन स्कीम में किए गए अंशदान के संबंध में 1.50 लाख रुपये की सीमा के अलावा 50,000 रुपये की कटौती प्रदान करने का भी प्रस्ताव बजट में है।

कर में कटौती का ब्यौरा कुछ इस प्रकार हैः

धारा 80सी के तहत कटौती-                                   1.5 लाख रुपये

धारा 80सीसीडी के तहत कटौती————-              50 हजार रुपये

आवास (स्व-अधिकृत) ऋण के ब्याज पर कटौती———-2 लाख रुपये

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर धारा 80डी के तहत कटौती—–25 हजार रुपये

परिवहन भत्ते पर छूट———                                19 हजार 200 रुपये

कुल—-                                                         444200 रुपये