लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने 2015-16 के रेल बजट को निराशाजनक और आम आदमी की जेब पर पिछले दरवाजे से बोझ बढ़ाने वाला कहा है। ईंधन की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का लाभ रेल यात्रियों को तदनुरुप घटे हुए रेल किराये के रुप में मिलना चाहिए था, क्योंकि पिछली बार किराये में भारी वृद्धि की गई थी। लेकिन मोदी सरकार ने यहां ईमानदारी नहीं दिखाई। उल्टे यूरिया की ढुलाई में 10 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है और सीमेंट, स्टील, तेल व रसोई गैस आदि जरुरी वस्तुओं के माल भाड़े में बढ़ोतरी की संभावना दिखाई गई है, जिससे महंगाई और आम आदमी पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। सुरक्षित रेल यात्रा और रेलों में अपराध की रोकथाम को लेकर बजट में कोई ठोस उपाय नहीं है, जबकि हर साल 15 हजार लोग रेल से संबंधित दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। मानव-रहित रेलवे क्रासिंग भी दुर्घटना के एक प्रमुख कारण हैं। ऐसी जगहों पर कर्मचारियों की नियुक्ति होनी चाहिए। महिला डिब्बों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का प्रस्ताव महिला-विरोधी है। जनरल रेल टिकट बुकिंग की सुविधा स्मार्ट फोन पर देने का प्रस्ताव है, पर यात्रियों के हित में जनरल डिब्बे बढ़ाने की जरुरत पर ध्यान नहीं दिया गया है। बजट में आम यात्रियों के लिए कुछ खास नहीं है और रेलवे में निजीकरण को बढ़ावा देने की दिशा बरकरार है। यह बजट रेल को आगे नहीं ले जायेगा।