लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश सरकार द्वारा कल प्रस्तुत बजट प्रारूपों में प्रदेश के सम्यक विकास के दृष्टि का अ़भाव बताया है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि 2015 को किसान वर्ष घोषित किया जाना छलावा मात्र है। प्रदेश सरकार के वर्ष 2015-2016 के बजट में न तो प्रदेश के विकास का कोई स्पष्ट नजरिया सामने आया और नहीं शिक्षित/अशिक्षित/तकनीकी शिक्षा प्राप्त बेरोजगार युवकों के रोजगार सृजन की कोई व्यवस्था।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि किसानों के हित की बात करने वाली सरकार ने कृषि उत्पाद के भण्डारण के मद में कुल 100 करोड़ का आवंटन किया हैं जो इतने बड़े प्रदेश में कृषि उत्पाद के भण्डारण सुविधाएं खड़ी करने के लिए ऊँट के मुँह में जीरा जैसी कहावत को चरितार्थ करता है। इसी तरह सिंचाई के मद में कुल 200 करोड़ का प्रावधान सपा सरकार के किसान प्रेम की कलई खोलता है। उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद गन्ना किसानों को 500 करोड़ का पिछला भुगतान अभी तक न होना, खाद, पानी, बिजली की बदहाल व्यवस्था बेहद चिन्तनीय की चिन्ता की बात है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि समाजवादी पार्टी अपने घोषणा पत्र के वायदों को पूरा किये जाने के सम्बन्ध में बड़ी-बड़ी बाते तो करती है लेकिन किसाना आयोग का अब तक गठित न होना, कृषि उत्पादन लागत मंे 50 प्रतिशत बढ़ाकर कृषि समर्थन मूल्य न दिया जाना, 65 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन न दिया जाना तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आयोग न बनाना सपा सरकार के किसान वर्ष घोषित किये जाने की असलियत है।
हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा बजट में किए गये अनेक प्रावधान बच्चों को टाफी देकर खुश करने जैसे है मसलन कामधेनु योजना के लिए 50 करोड़ किसानों को कम ब्याज पर कर्ज के लिए 150 करोड़ फसल बीमा योजना के लिए 180 करोड़, निःशुक्ल वोरिंग योजना के लिए 36 करोड़, नदी प्रदूषण नियन्तण में लिए 75 करोड़, झील संरक्षण कार्यक्रम के लिए 50 करोड़, प्रमाणित बीजों पर 81 करोड़, रासायनिक खाद भण्डारण पर 100 करोड़ आदि ऐसे प्रावधान है जो इतने बड़े प्रदेश के नाकाफी हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि बजट में शोध व विकास के मद में कोई वित्तीय प्रवधान नहीं है जो आश्चर्यजनक है। उन्होेंने कहा कि दुनिया में अत्याधुनिक शोध व उनका क्रियान्वयन ही पूरी दुनियां में विकास के मूल में है चाहे वह कृषि क्षेत्र हो, विज्ञान, तकनीकी, चिकित्सा, उद्योग, शिक्षा हो या विभिन्न क्ष्ेात्र बिना शोध व विकास की दिशा में गम्भीर प्रयास के समृद्धि व विकास के दृष्टि अधूंरी है।
हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश के सम्यक विकास की सम्भावनाएं तभी साकार हो सकती है जब प्रदेश की कानून व्यवस्था चुस्त-दुरूस्त हो तथा भ्रष्टाचार मुक्त हो दोनो ही मोर्चे पर सरकार बुरी तरह असफल है। बजट प्रावधानों में कृषि व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, किसानों को राहत, रोजगार सृजन, शिक्षा की गुणवत्ता मेें सुधार, कृषि, विज्ञान, चिकित्सा तकनीक क्षेत्र में शोध, खेल प्रोत्साहन आदि विषयों पर दृष्टि का अभाव है तथा आमजन को निराश करने वाला है। प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर कोई प्रभावी व्यवस्था का उल्लेख नहीं है। न ही महिलाओं के रोजगार सृजन की कोई दृष्टि। 1090 पहले ही प्रभावहीन साबित हो चुकी है तथा 1073 का भी कोई लाभ जनता को नहीं मिला। हर तरह प्रदेश के कामगारों, शिल्पकारों आदि के हित को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है बुनकरों के हेतु आवंटित धनराशि भी बहुत नाकाफी है। कुल मिलाकर बजट वोट के लिए जनता को लुभाने का खोखला प्रयास हैं।
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